बहराइच में बच्ची को मौत के घाट उतारने वाला तेंदुआ पिंजरे में कैद, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
- तीन दिन पहले खेत में काम करते समय शाम पांच बजे तेंदुए ने हमला कर बच्ची को मौत के घाट उतार दिया था। तेंदुए के हमले में बच्ची की मौत के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग से पिंजरा लगाने की मांग की गई थी। ग्रामीणों की मांग पर वन कर्मियों ने घटनास्थल के पास पिंजरा लगवाया था।
Leopard caged: यूपी के बहराइच में तीन दिन पहले एक बच्ची को मौत के घाट उतार देने वाले तेंदुए को आखिरकार पिंजरे में कैद कर लिया गया है। वन विभाग की टीम बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के ककरहा रेंज में बच्ची की मौत के बाद तेंदुए को पकड़ने के लिए लगातार जुटी हुई थी। शनिवार की सुबह तेंदुआ आखिरकार पिंजरे में फंस गया। उसे पिंजरा सहित रेंज कार्यालय लाया गया है।
बता दें कि तीन दिन पहले बहराइच के मोतीपुर थाने के उर्रा के मजरे तमोलीपुरवा में खेत में काम करते समय शाम पांच बजे तेंदुए ने हमला कर बच्ची को मौत के घाट उतार दिया था। तेंदुए के हमले में बच्ची की मौत के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग से पिंजरा लगाने की मांग की गई थी। ग्रामीणों की मांग पर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के ककरहा वन रेन्ज के वन कर्मियों ने घटनास्थल के पास पिंजरा लगवाया था। पिंजरा लगने के तीसरे दिन शनिवार को बकरी के शिकार के लालच में तेंदुआ सुबह लगभग 7:20 बजे पिंजरे में कैद हो गया।
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बच्ची को गन्ने के खेत में खींच ले गया था तेंदुआ
तीन दिन पहले बहराइच के ककरहा रेंज से लगे तमोलियन पुरवा गांव में परिवार के लोगों के साथ खेत पर गई बच्ची को घात लगाए तेंदुआ गन्ने के खेत में खींच ले गया था। खेत में मौजूद ग्रामीण तेंदुए के पीछे हांका लगाते हुए दौड़े तो बालिका को छोड़कर भाग गया। सीएचसी ले जाते समय बालिका की रास्ते में मौत हो गई था।
कतर्निया सेंचुरी क्षेत्र के ककरहा रेंज से लगा हुआ है गांव
कतर्निया सेंचुरी क्षेत्र के ककरहा रेंज से उर्रा गांव का तमोलियनपुरवा लगा हुआ है। बुधवार की शाम करीब चार बजे गांव निवासी बैजनाथ अपनी आठ वर्षीय बेटी शालिनी को लेकर खेत गए हुए थे। परिजन भी खेत में सब्जी की निराई कर रहे थे। तभी कुछ दूरी पर स्थित गन्ने के खेत से निकले तेंदुए ने शालिनी पर हमला कर दिया। जबड़े में गर्दन फंसाकर उसे गन्ने के खेत में खींच ले गया। शोर सुनकर परिजनों की नजर तेंदुए पर पड़ी तो सभी डंडा लेकर बचाने के लिए दौड़े लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। खून से लथपथ शालिनी को लेकर सीएचसी की ओर निकले तो कुछ ही दूरी पर उसकी सांस टूट गई। खबर मिलते ही रेंजर भी वनकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे थे। निगरानी के लिए कैमरा और पिंजरा भी लगाया गया। शनिवार की सुबह इसी पिंजरे में तेंदुआ फंसा।