Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Teachers will now get the facility of transfer within three years Yogi Cabinet gives green signal to new proposal

टीचरों को अब तीन वर्ष में ही मिलेगी तबादले की सुविधा, नए प्रस्ताव को योगी कैबिनेट की हरी झंडी

यूपी की योगी कैबिनेट ने प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए उनके पांच वर्षों की न्यूनतम सेवा के बजाय केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद ही स्थानांतरण किए जाने के प्रस्ताव को सहमति दे दी है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 4 Nov 2024 06:51 PM
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यूपी की योगी कैबिनेट ने प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए उनके पांच वर्षों की न्यूनतम सेवा के बजाय केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद ही स्थानांतरण किए जाने के प्रस्ताव को सहमति दे दी है। इससे घर से दूर प्रदेश के विभिन्न जिलों में सेवाएं दे रही महिला शिक्षकों को विशेष लाभ होगा, क्योंकि उन्हें अपने परिवार के पास वापस आने का अवसर पहले से कम समय में मिल सकेगा। इसके लिए नई उच्चतर सेवा नियमावली-2024 में इसका प्रावधान किया गया है।

ऐसे में अब प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक, जो नियमित आधार पर नियुक्त और स्थायी रूप से पदस्थापित हैं, अब केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद अपने स्थानांतरण का अनुरोध कर सकेंगे। इससे पहले यह सीमा पांच साल थी। नई नियमावली के तहत यह प्रावधान भी है कि शिक्षक अपने संपूर्ण सेवा काल में केवल एक बार स्थानांतरण के हकदार होंगे।

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इस निर्णय के पीछे योगी सरकार की मंशा है कि इससे शिक्षक समुदाय में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। घर से दूर रहने के कारण कठिनाई महसूस कर रही महिला शिक्षकों और अन्य शिक्षकों को इस नियमावली से काफी राहत मिलेगी। सरकार के इस कदम को शिक्षा प्रणाली में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

अधिनियम-2023 के तहत नई व्यवस्थाएं लागू

सरकार ने हाल ही में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 को लागू किया है, जो 23 अगस्त 2023 को प्रख्यापित किया गया था। इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980 को निरसित कर दिया गया है, जिससे 1980 के अधिनियम के तहत जारी स्थानांतरण नियम स्वतः समाप्त हो गए हैं। इसके बाद 2005 में जारी नियमावली भी निरस्त कर दी गई है, जिससे नई नियमावली बनाने की आवश्यकता उत्पन्न हुई।

स्थानांतरण की प्रक्रिया हुई सरल और पारदर्शी

नई नियमावली के तहत एक महाविद्यालय से दूसरे महाविद्यालय में एकल अथवा पारस्परिक स्थानांतरण करने के लिए शिक्षकों को विधिवत आवेदन प्रक्रिया का पालन करना होगा। आवेदन पत्र संबंधित महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा, जो विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित होगा। प्रबंधतंत्र की सहमति के बाद ही आवेदन को निदेशक उच्च शिक्षा के पास भेजा जा सकेगा। इससे स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता आएगी। साथ ही अनावश्यक देरी से भी बचा जा सकेगा।

शिक्षण कार्य में आएगी अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता

उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि इस नियमावली के लागू होने के बाद से शिक्षकों को अपने गृह जनपद में लौटने का अवसर मिलेगा, जिससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। इससे न केवल शिक्षकों के कार्यस्थल पर संतोष का स्तर बढ़ेगा, बल्कि छात्रों को भी लाभ होगा, क्योंकि शिक्षक अधिक सहज और संतुष्ट होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे।

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