सुहागिन महिलाओं ने विधि-विधान से रखा तीज का व्रत
अखण्ड सुहाग के लिए किया निर्जल उपवास, प्रदोष काल में हुई पूजा दिन भर
अखण्ड सुहाग के लिए किया निर्जल उपवास, प्रदोष काल में हुई पूजा दिन भर चला मेंहदी लगाने व सोलह श्रृंगार का सिलसिला
सुलतानपुर, संवाददाता
शुक्रवार को सुहागिन महिलाओं ने हरतालिका तीज का कठिन व्रत रखा। सुबह स्नान ध्यान के बाद दिन भर नर्जला उपवास रखा। इसके बाद दिन भर शाम के समय होने वाली पूजा की तैयारियों में बीत गया। इस दौरान महिलाओं ने सोलह श्रृंगार किया और हाथों में सूबसूरत मेंहदी रचवाई। संध्या के समय घरों व कही-कहीं सामूहिक रूप से माता पार्वती व शिव भगवान की पूजा कर उनकी कथा सुनी और पूजा आराधना की।
शहर के चौक घंटाघर के आसपास, बाटा गली, व शॉपिंग माल में महिलाओं व युवतियों ने पहुंचकर हाथों में मेंहदी लगवाई। हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बड़ा खास महत्व रखता है। इस दिन महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सुहाग की लंबी आयु की कामना की। महिलाओं ने सोलह शृंगार धारण किया। इस व्रत में मेहंदी बहुत जरूरी मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था। इसकी पूजा आम तौर पर प्रदोष काल में होती है। जो सूर्यास्त के समय पड़ता है। इस दिन महिलाओं ने नए वस्त्र धारण करने के बाद सोलह श्रृंगार किया। गीली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश की प्रतिमा बनाई। इसके बाद शाम को भगवान शिव, माता पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति के सामने पूजन सामग्री रखकर विवि विधान से पूजा की। कई महिलाओं ने अपने घरों में इस अनुष्ठान को किया। वहीं पारिजात वृक्ष परिसर तथा सीताकुण्ड घाट पर भी महिलाओं ने इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से पूजा की। शिव-पार्वती की पूजा में दूध, शक्कर, दही, कुमकुम, कपूर, घी, चंदन, गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल, फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, नारियल, कलश व चंदन चढ़ाया गया। इसके साथ ही महिलाएं माता पार्वती को सुहाग की सामग्री मेंहदी, चूड़ी, सुहाग की पिटारी, कंघी, सिंदूर, कुमकुम, बिंदी आदि चढ़ाई।
इनसेट
उदयातिथि के अनुसार मनी तीज
सुलतानपुर। वैसे तो तीज इस बार पांच सितम्बर को पड़ी। लेकिन उदयातिथि के अनुसार इस बार तीज छह सितम्बर यानी शुक्रवार को मनाई गई। मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के माता पार्वती ने तीज का व्रत रखा था।
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