Hindi NewsUttar-pradesh NewsSultanpur NewsTragic Death of Indian Laborer in Saudi Arabia After 741 Days Family Faces Financial Crisis

सुलतानपुर-तीन लाख खर्च कर सऊदी से लाया गया शव

Sultanpur News - माता प्रसाद, जो सुलतानपुर का निवासी था, ने सऊदी अरब में मजदूरी करने के लिए 5 नवंबर 2022 को यात्रा की। 741वें दिन उसकी दीवार के नीचे दबकर मौत हो गई। शव लाने में परिवार को तीन लाख रुपए खर्च करने पड़े।...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुल्तानपुरWed, 18 Dec 2024 06:28 PM
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सुलतानपुर, संवाददाता। महमूदपुर विझुरी निवासी माता प्रसाद मजदूरी करता था। रोजी-रोटी के लिए पांच नवंबर 2022 को उसने पहली बार सऊदी अरब का सफर किया। तीन साल पूरा करके वह घर वापस आता तो बेटी के हाथ पीले करता। मगर, वहां रहते हुए 741 वें दिन उसकी दीवार के नीचे दबकर मौत हो गई। उसके शव को पैतृक गांव लाने में पूरे एक माह लग गए। गरीब परिवार को सऊदी अरब और भारत सरकार से मदद नहीं मिल सकी, ऐसे में तीन लाख रुपए शव लाने में परिवार के खर्च हो गए। जयसिंहपुर के महमूदपुर विझुरी निवासी हुबलाल के पांच बेटों शोभनाथ, माता प्रसाद, अयोध्या प्रसाद, गया प्रसाद और प्रेमनाथ में माता प्रसाद दूसरे नंबर पर था। वह गांव में रहकर मजदूरी करता। उसके तीन बच्चे जिसमें प्रियंका (22) शिल्पा (20) और अभिषेक (18) हैं। सऊदी अरब जाने से पूर्व उसने बड़ी बेटी का ब्याह रचा दिया था। छोटी बेटी बीए सेकेंड ईयर और बेटा इंटर की पढ़ाई कर रहा है। माता प्रसाद के सऊदी अरब जाने के बाद घर के हालात बदले थे। पत्नी निर्मला बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के साथ साथ छोटी बेटी के लिए दहेज जमा करने में जुट गई थी। लड़का ढूढ़ा जा रहा था, बेटी की पढ़ाई कम्प्लीट होने तक माता प्रसाद का भी तीन साल का समय पूरा होता और वह घर आकर धूम धाम से बेटी का विवाह कराता। लेकिन नियति को शायद ये मंजूर नहीं थी।

15 नवंबर को उसने पत्नी से आखरी बार बात किया था। उसने परिवार का हालचाल जाना था। लेकिन अगले दिन 16 नवंबर को मजदूरी करते हुए दीवार के नीचे दबा साथी उसे लेकर अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी मौत की सूचना परिवार में देने की दोस्त हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे लेकिन करते भी क्या अगले दिन फोन पर परिवार को सूचना दी। मौत की खबर मिलते ही मानो माता प्रसाद के घर में गमो का पहाड़ टूट पड़ा। थोड़ा राहत होने के बाद शव को गांव लाने के लिए परिवार बहुत भटका। डीएम के ऑफिस के चक्कर लगाए। कानूनी अड़चन आई, सऊदी अरब में दोस्तो ने कागजात तैयार कराया, इस सब में बेटी की शादी के लिए रखे तीन लाख रुपए खर्च हो गई पर सरकार से कोई मदद नहीं मिली। जैसे तैसे 17 दिसंबर को लखनऊ एयरपोर्ट पर शव पहुंचा और वहां से जब शव पैतृक गांव आया तो कोहराम बरपा हो गया। देर शाम उसका अंतिम संस्कार किया गया।

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