श्रीमद्भागवत कथा दिव्य कल्पतरु है : आचार्य श्याम सारथी
Sultanpur News - चांदा, संवाददाता श्रीमद्भागवत कथा दिव्य कल्पतरु है : आचार्य श्याम सारथीश्रीमद्भागवत कथा दिव्य कल्पतरु है : आचार्य श्याम सारथीश्रीमद्भागवत कथा दिव्य कल
चांदा, संवाददाता प्रतापपुर कमैचा गांव में चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन अयोध्या के आचार्य श्याम सारथी जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। क्योंकि कल्पवृक्ष धर्म, अर्थ और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नहीं दे सकता है। लेकिन श्रीमद्भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह धर्म, अर्थ ,काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है।
संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा को आगे बढ़ाते हुए ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुये आचार्य श्री ने कहा कि रानी सुनीति को संतान उत्पन्न न होने के कारण महाराज उत्तानपाद ने दूसरा विवाह सुरुचि से किया। जैसे ही राजा के जीवन सुरुचि आई और सुनीती गयी, मानो रुचि आ गयी और नीति चली गई। सब कुछ बदल गया। इसलिए जीवन में नीति का अनुसरण करना श्रेयाकर है। रुचि का अनुसरण दुख का कारण है। कथा मध्य संगीतमयी भजनों पर उपस्थित जनमानस जहां झूम उठा, वही वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसके पूर्व मुख्य जजमान तिलकधारी मिश्र ने व्यास पीठ का पूजन व आरती किया। संचालन सनातन ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष विद्याधर तिवरी ने किया। राजीव मिश्र, अरविन्द मिश्र, धनेश्वर शर्मा, उमाशंकर मिश्र, इंद्रजीत, अशोक दूबे, प्रताप नरायण ओझा, अमृतलाल जायसवाल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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