नगर पंचायत बनने के बाद भी नहीं समाप्त हुई जल निकासी की समस्या
लंभुआ नगर पंचायत, ब्लॉक और तहसील मुख्यालय है, लेकिन यहां के निवासियों को कई मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। जल निकासी की समस्या वर्षों से बनी हुई है, जिससे बरसात में पानी घरों और दुकानों में भर जाता...
नगर पंचायत के साथ ही ब्लॉक व तहसील मुख्यालय भी है लंभुआ यहां के लोगों को कई मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं
लंभुआ, संवाददाता
जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर स्थित लंभुआ बाजार का अस्तित्व काफी पुराना है। लंभुआ तहसील मुख्यालय, ब्लॉक मुख्यालय होने के साथ ही हुए नगर पंचायत भी हो गई है। यहां से लखनऊ व वाराणसी के लिए आसानी से रोडवेज की बसें उपलब्ध हो जाती हैं। मुख्यालय पर वर्षों पुराना रेलवे स्टेशन भी है, यहां से लखनऊ, दिल्ली व कानपुर तथा पटना के लिए आधा दर्जन से ज्यादा एक्सप्रेस गाड़ियां चलती हैं। यहां इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, आईटीआई, अस्पताल, गैस एजेंसी, विभिन्न बैंक, पेट्रोल पंप, पर्यटन स्थल, मंदिर इत्यादि स्थित है। इसके बावजूद विभिन्न समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। जिसका निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है।
लंभुआ में वर्षों से जल निकासी की समस्या जस की तस है। समस्या समाप्त न होने से नगर पंचायत वासी परेशान हैं। बाजार में सड़क के दोनों तरफ लाखों रुपए खर्च करके पक्की नाली का निर्माण हुआ है, नगर पंचायत सफाई कर्मियों द्वारा बीच-बीच में नालियों की सफाई भी की जाती है। लेकिन अभी तक जल निकासी की व्यवस्था नहीं कराई गई। कई स्थानों पर तो नालियां भठ गई हैं। जल की निकासी न होने से बरसात के समय पानी लोगों के घरों में तथा दुकानों में घुस जाता है। इसके अलावा नाली का गंदा पानी सड़क पर भर जाता है। सड़क तालाब की शक्ल में तब्दील हो जाती है। बदबूदार दुर्गंधयुक्त पानी के बीच लोगों का आना-जाना होता है। जल निकासी की समस्या के समाधान के लिए कई बार किसान संगठन तथा व्यापारी संगठन एवं अन्य नगर पंचायत वासियों ने जनप्रतिनिधियों एवं उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई। लेकिन लंभुआ में मुख्य जल निकासी की समस्या का समाधान अभी तक नहीं किया जा सका। नगर पंचायत अस्तित्व में आने के बाद यहां पर चुनाव हुआ और अवनीश उर्फ अंगद सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष बने। जीतने के बाद नगर पंचायत अध्यक्ष ने भी नगर पंचायत वासियों को मुख्य जल निकासी की समस्या का शीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया था और प्लान भी बनाया था। लेकिन समाधान के लिए ऐसा कोई कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है। बरसात के समय व्यापारियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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