मानव जीवन की आचार संहिता है मानस : डॉ. मिश्र
करौंदीकला, संवाददाता मानस मानव जीवन की आधार संहिता है म से
करौंदीकला, संवाददाता मानस मानव जीवन की आधार संहिता है म से मर्यादा अ से आदर्श न से नम्रता स से सहनशीलता यदि ये बातें जीवन में आ जायें तो लोक और परलोक दोनों बन जाता है। यह बातें खालिसपुर गोपालपुर (धर्मनपुर शिव मंदिर) पर चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन मानस कोविद डॉ मदन मोहन मिश्र ने कही। नारद मोह की चर्चा करते हुए कहा कि अहंकार व्यक्ति को समाप्त कर देता है, भगवान अपने भक्त का संरक्षण मां की तरह करते हैं। भरत चरित की चर्चा करते हुए कहा कि पहले जब तक मंथरा जैसी नारियों का प्रवेश हमारे घरों में बंद नहीं होगा तब तक राम जैसे बेटो का वनवास बन्द होने वाला नहीं है।
देवरिया से पधारे पंडित अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि मानव का कल्याण सत्संग से ही संभव है। नारी शक्ति अगर संगठित हो कर शोषण अत्याचार का विरोध करे तो समाज में रामराज्य की स्थापना होने में विलंब नहीं होगा। राम वनवास का बड़ी मार्मिक व्याख्या करते हुए कहा भगवान ने सत्य की स्थापना के लिए सत्ता को छोड़ दिया था, लेकिन आज लोग सत्ता को प्राप्त करने के लिए सत्य को ही छोड़ रहे हैं।
प्रतापगढ़ से आए पंडित आशुतोष द्विवेदी ने कहा ने लक्ष्मण शक्ति की मार्मिक चर्चा करते हुए कहा कि हमें अपनी उपलब्धियों में भगवान की कृपा का दर्शन करना चाहिए । मानस इंसान को इंसान होना सिखाता है। राम के नाम का आश्रय लेकर ही भवसागर पार किया जा सकता है। संसार देखने में जितना सुंदर दिखता है अनुभव में उतना अच्छा नहीं होता।
इस मौके पर हौसिला प्रसाद पाण्डेय, राजमणि द्विवेदी,ओमप्रकाश पाण्डेय,राजेंद्र यादव,अशोक कुमार पाण्डेय, शिव प्रकाश सिंह, राम विनय सिंह, संदीप पाण्डेय, दीपक पाण्डेय, राममूर्ति विश्वकर्मा, राम कलप तिवारी, घनश्याम मिश्रा, सन्त भारती, रामकुमार यादव, दिनेश सिंह, सोनू पाण्डेय, जगदम्बा सिंह, सुमित पाण्डेय, देवेश पाण्डेय सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। राहुल पाण्डेय रमन ने कथा में आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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