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गोवर्धन पूजा परिक्रमा से नष्ट होते हैं पाप: शास्त्री

समरथपुर गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस पर पूज्य गजानंद महाराज ने गोवर्धन पूजन के महत्व को बताया। उन्होंने बताया कि पुलस्त्य ऋषि द्वारा गोवर्धन पर्वत को काशी लाने का प्रयास और गोवर्धन का...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुल्तानपुरTue, 29 Oct 2024 05:03 PM
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बल्दीराय, संवाददाता। समरथपुर गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस पर कथा व्यास पूज्य गजानंद महराज ने कहा कि गोवर्धन पूजन करने से परिक्रमा करने से नष्ट हो जाते हैं। कहा कि एक बार पुलस्त्य ऋषि भ्रमण करते हुए द्रोणाचल पर्वत पर पहुंच गए। वहां द्रोणाचल पर्वत के पुत्र गोवर्धन पर्वत को देखकर ऋषि के मन में आया कि गोवर्धन पर्वत को ले जाकर काशी में स्थापित किया जाय। द्रोणाचल पर्वत और पुत्र गोवर्धन ने विचार किया कि यदि पुलस्त्य ऋषि की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं तो वो श्राप दे देंगे। गोवर्धन ने पुलस्त्य ऋषि के सामने शर्त रखी कि आप जहां भी मुझे स्थापित करोगे, मैं वहां से आगे नहीं बढूंगा। पुलस्त्य ऋषि ने शर्त को स्वीकार कर अपनी हथेली पर धारण किया,और आकाश मार्ग से काशी नगरी के लिए प्रस्थान किया।गोवर्धन ने जब व्रजमंडल को देखा तो उसे स्मरण आया कि यहां पर मेरे प्रभु श्री कृष्ण का जन्म होने वाला है, और मुझे श्री कृष्ण लीला में सम्मिलित होना है, गोवर्धन पर्वत ने अपना वजन बढ़ा दिया, पुलस्त्य जी शर्त को भूल गए और गोवर्धन को नीचे रखकर विश्राम करने लगे। उसके बाद गोवर्धन पर्वत को उठाने लगे तो गोवर्धन उठे नहीं, गोवर्धन ने पुलस्त्य ऋषि को शर्त को याद दिलाया मै अब यही रहूंगा।यह सुनकर पुलस्त्य ऋषि को क्रोध आ गया गोवर्धन को श्राप दिया कि आज से तुम प्रतिदिन तिल मात्र घटते जाओगे, जिस दिन तुम्हारा अस्तित्व मिट जायेगा उसी दिन प्रलय होगा।

तब से गोवर्धन पर्वत प्रतिदिन तिल मात्र घट रहें हैं। गोवर्धन का यह समर्पण देख करके भगवान श्री कृष्ण ने उनकी पूजा किया और व्रजवासियों से कराया। श्री कृष्ण ने कहा कि जो आज से गोवर्धन जी की पूजा, परिक्रमा करेगा उसके समस्त पाप ताप नष्ट हो जायेंगे। वह बैकुंठ धाम का अधिकारी बन जायेगा। देवराज इन्द्र ने भी गोवर्धन पर्वत का पूजन-अर्चन किया अपने जीवन को धन्य बनाया।यहां अनिल मिश्र ओम प्रकाश पाण्डेय बजरंगी, प्रभुनाथ पाण्डेय, देवी प्रसाद तिवारी, कुलदीप तिवारी प्रियव्रत शुक्ला, सुनील तिवारी, बृजेन्द्र तिवारी, श्री राम मिश्र लल्लन मिश्र यदुनंदन मिश्र आदि मौजूद रहे।

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