Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़सुल्तानपुरAt the age of just 13 years, she gained immense popularity in Birha singing

मात्र 13 साल की उम्र और बिरहा गायन में पाई जबरदस्त लोकप्रियता

  • छोटी उम्र में ही सूर्य प्रताप बड़े मुकाम हासिल कर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता दूर-दूर तक है

Gyan Prakash हिन्दुस्तान, बल्दीराय (सुलतानपुर)। पवन दूबेFri, 17 Jan 2025 05:52 PM
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बिरहा गायन की दुनिया में 13 वर्षीय सूर्य प्रताप यादव नित नए आयाम गढ़ रहे हैं। धनपतगंज के पिछौरा पीरो कला विकास निवासी इस बच्चे ने गायन प्रतिभा और सुरों के जादू से न केवल ग्रामीण मंचों पर बल्कि मंडल और राज्य स्तर के आयोजनों में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। सूर्य प्रसाद यादव का संगीत से नाता उनके पारिवारिक माहौल से जुड़ा है। उनकी माता मंजू देवी पारंपरिक ग्रामीण गीतों की कुशल गायिका हैं। सूर्य ने बचपन से ही अपनी माता के गीतों को सुना और उन्हें गुनगुनाने लगे। अकेले में उन सुरों को गुनगुनाना उनकी आदत बन गई। धीरे-धीरे यह रुचि उनके अंदर गहराई तक बस गई। हरौरा बाजार में आयोजित एक बिरहा गायन कार्यक्रम ने उनके जीवन को बदल दिया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने महसूस किया कि यह गायन शैली उनके दिल के करीब है। वहीं से उन्होंने गायन को अपनी पहचान बनाने का संकल्प लिया।

राग-रागिनियों में पारंगत और गुरुओं का आशीर्वाद

सूर्य प्रसाद ने अपने संगीत का सफर खुद से रियाज करते हुए शुरू किया। इसके बाद उन्होंने माधव मुरारी और उदय राज यादव को अपना गुरु माना। इन गुरुओं के संरक्षण और मार्गदर्शन में उन्होंने बिरहा गायन की बारीकियों को सीखा और मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन शुरू किया।

उपलब्धियां के साथ सम्मान भी मिला

सूर्य प्रसाद यादव ने अपनी गायकी से न केवल श्रोताओं का दिल जीता, बल्कि कई बड़े मंचों पर पुरस्कार भी अपने नाम किए। साल 2023 में अयोध्या महोत्सव में शानदार प्रदर्शन के लिए शील्ड प्राप्त की। 2024 में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किए गए। 2025 में बिरहा गायन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अयोध्या गौरव सम्मान पत्र और अयोध्या लोक कला गौरव सम्मान हासिल किया। इसी वर्ष जनवरी में एक प्रतिष्ठित फोक अवार्ड से भी नवाजे गए। इन उपलब्धियों ने न केवल उनकी कला को मान्यता दी, बल्कि उन्हें बिरहा गायन की दुनिया में एक नया सितारा बना दिया। सूर्य प्रसाद यादव अपने गायन के माध्यम से भारतीय लोक कला को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। उनका मानना है कि हमारी पारंपरिक लोक विधाएं हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं और इन्हें संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुझे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का हौसला दिया। मेरा सपना है कि मैं अपने गायन के जरिए लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला सकूं। सूर्य प्रसाद यादव अपनी मधुर आवाज और सुरों के जादू से वे आने वाले समय में गायन की दुनिया में एक बड़ा नाम बनने की ओर अग्रसर हैं।

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