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पीसीएस प्री और RO-ARO परीक्षा एक ही दिन कराने पर अड़े छात्र, यूपीपीएससी गेट पर प्रदर्शन

  • दो दिन परीक्षा होने पर नॉर्मलाइजेशन के नाम पर गड़बड़ी से आशंकित सैकड़ों अभ्यर्थियों ने आयोग के गेट नंबर दो पर प्रदर्शन किया। भारी फोर्स की मौजूदगी के बीच सोमवार दोपहर बाद आयोग के सचिव अशोक कुमार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत में साफ किया कि अभी आयोग ने दो दिन परीक्षा का कोई निर्णय नहीं लिया है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानTue, 22 Oct 2024 12:42 PM
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Student's Protest at UPPSC Gate: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सम्मिलित राज्य प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) प्रारंभिक परीक्षा 2024 को दो दिन में कराने की तैयारियों के बीच सोमवार को प्रतियोगी छात्रों का आक्रोश उबल पड़ा। छात्र एक ही दिन परीक्षा कराने की मांग पर अड़ गए हैं। दो दिन परीक्षा होने पर नॉर्मलाइजेशन के नाम पर गड़बड़ी से आशंकित सैकड़ों अभ्यर्थियों ने आयोग के गेट नंबर दो पर जमकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। भारी फोर्स की मौजूदगी के बीच दोपहर बाद तकरीबन 3:15 बजे आयोग के सचिव अशोक कुमार ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर साफ किया कि अभी आयोग ने दो दिन परीक्षा का कोई निर्णय नहीं लिया है। अभी जिलों से शासनादेश के अनुसार मानक केंद्रों की सूची मांगी गई है। सूची मिलने के बाद स्थिति साफ होगी की परीक्षा एक दिन में कराई जाएगी या दो दिन में, इसकी जानकारी भी छात्रों को दी जाएगी।

छात्रों ने मांग किया कि पीसीएस 2024 और आरओ/एआरओ 2023 प्रारंभिक परीक्षा एक शिफ्ट में दिसंबर में आयोजित की जाए। मानक में परिवर्तन करके केंद्रों की दूरी जिला मुख्यालय से दस की बजाय 20 किलोमीटर की जाए, ताकि समुचित संख्या में केंद्र मिल सकें। परीक्षा किसी भी हाल में दिसंबर से आगे न जाए क्योंकि यह हमारे समय और भविष्य की बर्बादी है। नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) किसी भी हाल में नुकसानदायक है, अत: सामान्य अध्ययन की परीक्षा में इससे बचा जाए ताकि भर्ती कोर्ट में न फंसे। यह कदम परीक्षा प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने एवं योग्य उम्मीदवारों के चयन को सुनिश्चित करने में बहुत मददगार देगा।

क्या है छात्रों का तर्क

छात्रों का तर्क है कि जब परीक्षाएं कई शिफ्ट में आयोजित की जाती हैं, तो अक्सर प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर में एक कथित या वास्तविक अंतर होता है, जिससे उम्मीदवारों के बीच अनुचितता की भावना पैदा हो सकती है। ऐसे में नॉर्मलाइजेशन से होने वाली विसंगतियों को एक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करके, समाप्त किया जा सकता है। साथ ही यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सभी उम्मीदवारों का समान स्तर पर मूल्यांकन हो। इसके अलावा एक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने से लॉजिस्टिक मुद्दों, तकनीकी गड़बड़ियों आदि की आशंका कम हो जाएगी, जो कई शिफ्टों से उत्पन्न हो सकती है।

छात्रों के लिए विष जैसा है नॉर्मलाइज़ेशन

प्रयागराज। प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि उनके लिए नॉर्मलाइज़ेशन विष के जैसा है। धनंजय सिंह, नरेन्द्र द्विवेदी और सुमित कुमार ने कहा कि दो दिन में परीक्षा कराने की तैयारियों को आयोग को वापस लेना होगा। सुतृति तिवारी का कहना है कि सरकार व आयोग को सोचना चाहिए हम लड़कियां कैसे तैयारी करते हैं। जहां परिवार व समाज से संघर्ष कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। यहां आयोग को प्रयोगशाला बना दिया गया है। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि आयोग प्रारंभिक परीक्षा में नॉर्मलाइज़ेशन करने जा रहा जो न्यायोचित नहीं है।

डायवर्ट करना पड़ा ट्रैफिक

प्रतियोगी छात्रों के प्रदर्शन के कारण शहर के व्यस्ततम स्टैनली रोड पर गाड़ियों के आवागमन को डायवर्ट करना पड़ा। 11:30 बजे के आसपास सिविल लाइंस से आने वाल गाड़ियों को एनआईपी चौराहे पर रोक दिया गया। ये गाड़ियों वैकल्पिक मार्गों से होकर प्रतापगढ़ और लखनऊ की ओर गईं।

जमीन पर बैठ गईं लड़कियां

अपनी मांगों के समर्थन में दर्जनों लड़कियां आयोग के गेट नंबर दो के सामने सड़क पर बैठ गईं। हाथ में महात्मा गांधी की तस्वीर और बैनर लिए प्रतियोगी छात्र परीक्षा एक दिन में ही कराने की मांग पर डटे रहे। इस दौरान छात्र एकता जिंदाबाद, भारत माता की जय, वंदे मातरम जैसे नारे भी लगाते रहे।

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