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कोरोना काल के वायरल फीवर का कहर, 40 प्रतिशत मरीजों को दे गया ऑर्थाल्जिया

वायरल फीवर ने कहर बरपाया तो 40 फीसदी मरीज पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया के शिकार हो गए। यह बुखार चिकनगुनिया की तरह मरीजों को बड़ी तकलीफ दे गया। वायरल तो ठीक हो गया पर ऑर्थाल्जिया का शिकार बना गया।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, कानपुरWed, 12 Oct 2022 07:57 AM
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वायरल फीवर ने कहर बरपाया तो 40 फीसदी मरीज पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया के शिकार हो गए। यह बुखार चिकनगुनिया की तरह मरीजों को बड़ी तकलीफ दे गया। वायरल तो ठीक हो गया पर अपने साथ पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया का शिकार बना गया। पैरों और हाथों के जोड़ों में सूजन के साथ दर्द खत्म नहीं हो रहा है इसलिए विशेषज्ञों को दवाओं के नए प्रयोग का सहारा लेना पड़ा है। 

पांच फीसदी मरीजों को स्टेरॉयड के सहारे दर्द पर काबू करना पड़ रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन के साथ हड्डी रोग विभाग में रोज पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया के मरीज रिपोर्ट किए जा रहे हैं। पांच महीने में 6987 मरीज पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया के आए हैं, जिनका अभी भी इलाज चल रहा है। डॉक्टरों को ट्रमडॉल हाइड्रोक्लोराइड और एसीटामिनोफिन-एनालजेसिक सॉल्ट की दवाएं देनी पड़ रही हैं। 

यह सामने आई समस्या 
कोरोना काल के बाद युवाओं के जोड़ तकलीफ दे रहे हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जवानी में जोड़ कमजोर होने लगे हैं। जीएसवीएम के ऑर्थो विभाग में रोज 50 से ज्यादा मरीज गठिया के आ रहे हैं। डॉक्टरों की स्टडी ने उन्हें चौंका दिया है। चार सालों में पहली बार गठिया के मरीजों में तीन गुना का इजाफा हुआ है। कूल्हों में सेकेण्डरी ऑस्टियो ऑर्थराइटिस और घुटनों में कोंड्रो मलेशिया पटेला बीमारी में भारी उछाल दर्ज किया गया है। स्टडी के मुताबिक लोगों की एक्सरसाइज न के बराबर हो गई इसी कारण 20-45 साल के युवाओं के कू्ल्हे या घुटने ही नहीं शरीर के अन्य जोड़ों में भी दर्द और गठिया ने दस्तक दे दी है। युवाओं में थाई बोन यानी फीमर और शिनबोन यानी टिबिया के लिंगामेन्ट और टिश्यू क्षतिग्रस्त मिल रहे हैं। मूवमेंट जीरो के कारण 5 फीसदी मरीजों के पैरों में तिरछापन भी पाया जा रहा है। 

किशोरों को भी ऑर्थराइटिस 
कांशीराम ट्रामा सेंटर के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधांशु कटियार का कहना है कि जवानी में गठिया हो रही है। हड़्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शुक्ला का कहना है कि गठिया अब हर उम्र में हो रही है। 16 वर्ष की आयु के बच्चों में भी गठिया हो रहा है। वायरल डिसीज से इस बार सोरियाटिक गठिया भी मिल रही है। 

हैलट की ऑर्थो ओपीडी में गठिया
-2017 में 11634 मरीज रिपोर्ट, 2018 में 13573, 2019 में 14404, 2020 में 108 दिनों में 5314, 2021 में 22191, सितम्बर 2022 में 16723

एसोसिएट प्रोफेसर हड्डी रोग विभाग जीएसवीएम, डॉ.चंदन कुमार ने कहा कि वायरल फीवर से पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया और गठिया ने तेजी से युवाओं को घेरना शुरू किया है। हर दिन 30-50 मरीज आ रहे हैं। फिजियोथेरेपी की मदद भी जरूरी है। प्रोफेसर मेडिसिन विभाग जीएसवीएम, डॉ.एसके गौतम ने बताया कि जिन लोगों को वायरल फीवर हुआ है उनमें पोस्ट वायरल ऑर्थाल्जिया तेजी से हुआ है। अभी इसके मरीज आ रहे हैं। कइयों को दो महीने से दवाएं दी जा रही हैं। फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ, डॉ.उमेश चन्द्र मिश्र ने कहा कि गठिया होने पर शुरू में ही फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जाए तो उसे नियंत्रित किया जा सकता है। कई लोग गलत एक्सरसाइज से तकलीफें बढ़ा ले रहे हैं। उन्हें सतर्क होना पडे़गा।

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