Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Witnesses threatened in Hathras incident Mayawati raised questions on Yogi government said how will the victims get justice

हाथरस गैंगरेप मामले में गवाहों को धमकी, मायावती ने योगी सरकार पर उठाए सवाल, बोलीं-पीड़ितों को कैसे न्याय मिलेगा

बसपा प्रमुख मायावती ने हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर सोमवार को योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इस मामले में जो नए तथ्य सामने आ रहे हैं, वे राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर...

Yogesh Yadav  लखनऊ भाषा , Mon, 22 March 2021 03:08 PM
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हाथरस गैंगरेप मामले में गवाहों को धमकी, मायावती ने योगी सरकार पर उठाए सवाल, बोलीं-पीड़ितों को कैसे न्याय मिलेगा

बसपा प्रमुख मायावती ने हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर सोमवार को योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इस मामले में जो नए तथ्य सामने आ रहे हैं, वे राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। हाथरस मामले की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष के गवाहों और अधिवक्ता को धमकाने की कथित घटना पर उच्च न्यायालय के कड़े रुख के बीच बसपा अध्यक्ष मायावती ने यह टिप्पणी की।

गौरतलब है कि पीड़िता के भाई की ओर से उच्च न्यायालय में एक अर्जी पेश कर उनके वकील शरद भटनागर ने कहा था कि पांच मार्च को इस मामले में विशेष न्यायाधीश के समक्ष हाथरस में सुनवाई चल रही थी तभी भीड़ और कुछ वकीलों ने आकर अदालत में तमाशा खड़ा किया और पीड़िता के अधिवक्ता को धमकी दी कि वह उनका मुकदमा नहीं लड़ें। अर्जी के मुताबिक बाद में अदालत के आदेश पर पुलिस की सुरक्षा में अधिवक्ता को हाथरस की सीमा तक छुड़वाना पड़ा।

— Mayawati (@Mayawati) March 22, 2021

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने जिला न्यायाधीश हाथरस व सीआरपीएफ के महानिरीक्षक को हाथरस मामले में विशेष न्यायाधीश के समक्ष पांच मार्च को सुनवाई के दौरान गवाहों व पीड़िता के अधिवक्‍ता को कथित तौर पर धमकी देने व अदालत में तमाशा खड़ा करने के आरोपों की 15 दिनों के भीतर जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

मायावती ने सोमवार को सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ''उत्तर प्रदेश के अति-दुःखद व शर्मनाक हाथरस गैंगरेप मामले के पीड़ित परिवार को न्याय पाने में जिन कठिनाइयों का लगातार सामना करना पड़ रहा है, वह जग-जाहिर है, किन्तु उस संबंध में जो नए तथ्य अब अदालत में उजागर हुए, वे पीड़ितों को न्याय दिलाने के मामले में सरकार की कार्यशैली पर पुनः गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं। 

उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा, ''हाथरस कांड में नए तथ्यों का उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेकर गवाहों को धमकाने आदि की जाँच का आदेश देने से उप्र सरकार फिर कठघरे में है, और लोग सोचने को मजबूर हैं कि पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा? यह आम धारणा है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों का राज है और न्याय पाना अति-कठिन है, क्या गलत है? न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने अदालत द्वारा पूर्व में हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गयी एक जनहित याचिका पर सुनवायी के दौरान यह आदेश पारित किया।

अदालत ने कहा है कि रिपोर्ट आने के बाद सुनवाई अन्‍यत्र स्‍थानांतरित करने पर विचार होगा। अपने आदेश में पीठ ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति सुनवाई को प्रभावित करने की कोशिश करेगा या पीड़िता के परिजनों व गवाहों के जीवन, स्वतंत्रता व सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उसके खिलाफ अदालती अवमानना की कार्रवाई भी की जायेगी। पीठ ने विशेष न्यायाधीश (एससी एसटी कानून) को कार्रवाई की वीडियो रिकार्डिंग कराने का भी आदेश जारी कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष हाथरस जिले में एक दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद उसकी मौत के मामले ने काफी तूल पकड़ा था और विपक्षी दलों खासकर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने इसे लेकर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया था।

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