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कौन हैं कमलेश पासवान जिनको नरेंद्र मोदी ने बनाया केंद्रीय मंत्री? यूपी की बांसगांव सीट से जीते चुनाव

नरेन्‍द्र मोदी सरकार 3.0 में पहली बार मंत्री बनने वालों में यूपी की बांसगांव (सुरक्षित) संसदीय सीट से चौथी बार चुने गए कमलेश पासवान भी हैं। उन्‍होंने राज्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली है।

Ajay Singh लाइव हिन्‍दुस्‍तान, गोरखपुर Sun, 9 June 2024 09:18 PM
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Kamlesh Paswan: नरेन्‍द्र मोदी सरकार 3.0 में पहली बार मंत्री बनने वालों में यूपी की बांसगांव (सुरक्षित) संसदीय सीट से चौथी बार चुने गए कमलेश पासवान भी हैं। उन्‍होंने राज्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली। कमलेश को रविवार की सुबह करीब 10.30 बजे फोन आया। उन्‍हें बताया गया कि आज शाम को मंत्री पद की शपथ लेनी है। 'लाइव हिन्‍दुस्‍तान' से बातचीत में कमलेश ने कहा कि पार्टी ने मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता को बड़ी जिम्मेदारी दी है। जिसका पूरी निष्ठा से निवर्हन करूंगा। 

कमलेश पासवान बांसगांव लोकसभा सीट से 2009 से लगातार जीत रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सदल प्रसाद को 3150 वोटों के मामूली अंतर से हराकर जीत हासिल की है। 2019 में उन्होंने सदल प्रसाद को हराया था। तब वह बसपा के टिकट पर मैदान में थे। कमलेश ने पहली बार 2009 में बांसगांव लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद 2014 में भी उन्होंने जीत हासिल की। इसी सीट पर कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे महावीर प्रसाद ने लगातार 1980, 1984, 1989 में चुनाव में जीत हासिल की, साथ ही 2004 में भी विजयी रहे। कमलेश पासवान वर्ष 2002 में सपा के टिकट पर मानीराम विधानसभा से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। वह याचिका समिति सदस्‍य, खाद्य उपभोक्‍ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्‍थायी समिति के सदस्‍य रह चुके हैं। कमलेश गोरखपुर यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हैं।

भाई डॉ.विमलेश बांसगांव (सुरक्षित) से हैं भाजपा विधायक
कमलेश पासवान के छोटे भाई डॉ.विमलेश पासवान भी चिकित्सा चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले सियासत में उतर गए। वह चरगांवा ब्लाक के प्रमुख रहे। बाद में डॉ.विमलेश पासवान ने 2017 में भाजपा के टिकट पर बांसगांव विधानसभा से चुनाव लड़ा। पहली ही बार में डॉ.विमलेश सपा की शारदा देवी को हराकर विधानसभा पहुंचे। 2022 में एक बार फिर उन्होंने जीत हासिल की और विधानसभा पहुंचे। 

पिता की हत्‍या के बाद सियासत में रखा था कदम 
उनके पिता ओम प्रकाश पासवान भी सियासत में थे। वह मानीराम विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे। साल- 1996 में एक चुनावी जनसभा के दौरान बम विस्फोट में उनकी मौत हो गई थी। उस वक्‍त कमलेश पासवान की उम्र काफी कम थी। पिता की अचानक मौत के बाद सपा ने उनकी माता सुभावती पासवान को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा। उस चुनाव में सुभावती विजयी रहीं। सपा के टिकट पर संसद पहुंचने वाली गोरखपुर-बस्ती मंडल की पहली महिला हुईं। सुभावती सपा सरकार में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं। ओम प्रकाश पासवान के भाई चन्द्रेश पासवान भी मानीराम विधानसभा से विधायक चुने गए। आगे चलकर परिवारिक विरासत कमलेश पासवान के हाथों में आई और फिर उन्‍होंने सियासी विरासत भी संभाल ली। इसके बाद कमलेश पासवान ने भी मानीराम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया। भाजपा सांसद कमलेश पासवान की पत्नी रीतू पासवान वर्ष 2006 से लेकर 2012 तक नगर निगम में पार्षद भी रह चुकी हैं। 

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