खुशी दुबे कब रिहा होगी? कोर्ट हुआ सख्त तो बैंक और पुलिस की रिपोर्ट पहुंची लेकिन अभी जेल में ही रहेगी
विकास दुबे कांड में गिरफ्तार खुशी दुबे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के करीब 13 दिन बाद भी जेल के अंदर ही है। इसे लेकर कोर्ट सख्त हुआ तो यूको बैंक और पनकी पुलिस ने जमानत सत्यापन रिपोर्ट पेश कर दी।
विकास दुबे कांड में गिरफ्तार खुशी दुबे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के करीब 13 दिन बाद भी जेल के अंदर ही है। इसे लेकर कोर्ट सख्त हुआ तो यूको बैंक और पनकी पुलिस ने जमानत सत्यापन रिपोर्ट पेश कर दी। दोनों ने एक सप्ताह से सत्यापन रिपोर्ट लटका रखी थी। कोर्ट ने सभी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि अभी नौबस्ता पुलिस और रजिस्ट्री कार्यालय के सत्यापन का इंतजार है। वहां से भी रिपोर्ट आने के बाद ही खुशी दुबे के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो सकेगा।
30 महीने से जेल में बंद खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को जमानत दी थी। इसके बाद उनकी ओर से सेशन कोर्ट में जमानतें दाखिल की गईं। इस पर कोर्ट ने बैंक, पुलिस और रजिस्ट्री दफ्तर से एक सप्ताह में सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी। सत्यापन रिपोर्ट न आने पर खुशी के वकील शिवाकांत दीक्षित ने कोर्ट में अर्जी देकर आरोप लगाया कि पुलिस और बैंक जानबूझकर सत्यापन में विलंब कर रहे हैं।
इस पर एडीजे-13 शैलेन्द्र कुमार वर्मा ने पनकी व नौबस्ता थानाध्यक्षों के साथ ही यूको बैंक अर्मापुर के शाखा प्रबंधक को नोटिस जारी कर 19 जनवरी को तलब किया था। नोटिस जारी होते ही मंगलवार दोपहर यूको बैंक की ओर से विशेष वाहक भेजकर कोर्ट में सत्यापन रिपोर्ट दाखिल कर दी गई। शाम होते-होते पनकी थाने के पैरोकार ने एडीजे-13 कोर्ट के साथ किशोर न्याय बोर्ड पहुंच कर सत्यापन रिपोर्ट सौंपी। अभी नौबस्ता थाने के साथ रजिस्ट्री आफिस औऱ सेंट्रल बैंक के सत्यापन का इंतजार है।
विवेचक नहीं बता सके कि आरोप बनता है या नहीं
खुशी दुबे पर दर्ज फर्जी सिम मामले में मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड में गवाह के रूप में प्रारंभिक विवेचक हाजिर हुए। बचाव पक्ष की जिरह में वह तमाम सवालों के जवाब नहीं दे सके। बोर्ड ने सुनवाई के लिए अगली तारीख आठ फरवरी तय की है। खुशी पर दर्ज फर्जी सिम के मामले की सुनवाई मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड में हुई।
यहां पर अभियोजन की ओर से प्रारंभिक विवेचक एसआई रामशंकर पाल पेश हुए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने उनसे जिरह की। फर्जी सिम में लगी आईडी किसकी थी, गायत्री तिवारी के बारे में क्या जानकारी जुटाई। इन सवालों पर विवेचक ने कहा वह गायत्री तिवारी के घर गए, जहां उनके बेटे ने बताया मम्मी घर पर नहीं हैं।
बचाव पक्ष ने सवाल किया कि आईडी उसकी मां के नाम थी तो खुशी दुबे पर आरोप बनता है या नहीं। इस पर विवेचक लड़खड़ा गए उन्होंने कहाकि वह यह नहीं बता सकते हैं। जेल से लाकर खुशी को बोर्ड के सामने पेश किया गया।