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विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई को कोर्ट से बड़ी राहत, इन दो मामलों में हो गया बरी 

Vikas Dubey Case: शस्त्र लाइसेंस लेने के दौरान झूठा शपथ पत्र देने और कारतूसों का सही विवरण न दे पाने से संबंधित दोनों मुकदमों में सबूतों के अभाव में अदालत ने जय बाजपेई को बरी कर दिया है।

Ajay Singh प्रमुख संवाददाता, कानपुरSat, 9 March 2024 06:22 AM
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Vikas Dubey Case: बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई को स्पेशल सीजेएम कोर्ट से राहत मिल गई है। शस्त्र लाइसेंस लेने के दौरान झूठा शपथ पत्र देने और कारतूसों का सही विवरण न दे पाने से संबंधित दोनों मुकदमों में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने जय को बरी कर दिया। हालांकि कारतूस वाले मामले में अभियोजन ने सेशन कोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर दी है, सुनवाई जिला जज की कोर्ट में नौ अप्रैल को होनी है। वहीं दूसरे मुकदमे में भी अपील की तैयारी है।

बिकरू कांड के बाद बजरिया थाने में जय बाजपेई के खिलाफ शस्त्र लाइसेंस लेते समय दिए गए शपथ-पत्र में तथ्यों को छुपाने और अपने व परिवारिक सदस्यों का आपराधिक इतिहास छिपाने के मामले में धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज किया गया था। अभियोजन के मुताबिक जय बाजपेई के भाई रजय बाजपेई के खिलाफ मुकदमा शस्त्र लाइसेंस लेने से पहले वर्ष 1999 में दर्ज था। फिर भी जय ने शपथ पत्र में इस बात को छिपाया था। आपराधिक इतिहास छुपाकर शस्त्र लाइसेंस हासिल किया गया था। मुकदमे में बचाव पक्ष ने तर्क रखा कि शस्त्र लाइसेंस 2008 में लिया गया था। जबकि शादी 2006 में हो गई थी। परिवार में जयकांत बाजपेई, उसकी पत्नी व उसके बच्चे हैं। वर्ष 2008 तक तीनों के खिलाफ किसी के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं था। कोर्ट ने जयकांत को बरी कर दिया।

वहीं, दूसरे मामले में बजरिया थाने में आयुध अधिनियम के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया था कि पुलिस जब जय के घर गई और लाइसेंस मांगा तो भाई रजय ने लाइसेंस दिया था। इसमें 65 कारतूस आवंटित थे। जब जय से पूछा गया तो उसने जानकारी न होने की बात कही। कारतूस दूसरे को देने के आरोप में जय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। बचाव पक्ष की ओर से कोर्ट में जय की पत्नी श्वेता बाजपेई को गवाह के रूप में पेश किया गया। उसने कहा कि जब वह जेल में जय से मिलने गई तो जय ने उसे बताया था कि घर की अल्मारी में बने लॉकर में कारतूस रखे हैं। पत्नी ने अल्मारी खोली तो कारतूस मिले थे।

इस बारे में डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्‍थी ने बताया कि  आयुध अधिनियम के मामले में सेशन कोर्ट में अपील दाखिल की गई है। जिला जज की अदालत में सुनवाई नौ अप्रैल को होगी, जिसमें आदेश की खामियों को सेशन कोर्ट के सामने रखा जाएगा। धोखाधड़ी के मामले में भी आदेश पर विचार विमर्श हो रहा है। जल्द ही अपील की जाएगी।

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