उत्तर प्रदेश: फर्जी शिक्षकों से वेतन रिकवरी के लिए विभाग ने कसी कमर
बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की लाख कोशिशों के बाद भी फर्जी शिक्षकों से वेतन रिकवरी नहीं हो पा रही है। अभी तक सिर्फ डेढ़ दर्जन शिक्षकों के खिलाफ ही वेतन रिकवरी के आदेश जारी हो पाए हैं जबकि...
बेसिक शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की लाख कोशिशों के बाद भी फर्जी शिक्षकों से वेतन रिकवरी नहीं हो पा रही है। अभी तक सिर्फ डेढ़ दर्जन शिक्षकों के खिलाफ ही वेतन रिकवरी के आदेश जारी हो पाए हैं जबकि विभिन्न जांचों में दो हजार से ज्यादा फर्जी शिक्षक चिह्नित किए जा चुके हैं। अब सरकार वेतन रिकवरी को लेकर सख्त हो गई है और बेसिक शिक्षा निदेशक सवेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह खुद जिलों के वित्त व लेखाधिकारियों के साथ मिल कर वेतन रिकवरी का आकलन कर पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे।
27 जुलाई से 19 अगस्त तक रोज 5 जिलों के लेखाधिकारियों को तलब किया गया है। अब बीएसए से कमान छीनते हुए निदेशालय स्तर पर इसकी ब्यौरा तैयार होगा। हालांकि विभाग लंबे समय से फर्जी शिक्षकों के चिह्नांकन का काम कर रहा है लेकिन इसमें तेजी नहीं आई। जिलों में होने वाले 'खेल' के चलते फर्जी शिक्षक लंबे समय से बचते भी रहे। बीते वर्ष सिद्धार्थनगर बीएसए के स्टेनो को एसटीएफ ने गोरखपुर से फर्जी शिक्षकों को बचाने के लिए 10 लाख की डील करते रंगे हाथों पकड़ा भी।
एसटीएफ, एसआईटी व जिला स्तरीय समित के अलावा केजीबीवी में प्रमाणपत्रों की जांच, मानव संपदा पोर्टल से फर्जी शिक्षकों की पहचान की गई है। शिक्षकों को प्रारम्भिक वेतन लगभग 40 हजार मिलता है। लिहाजा, एक शिक्षक की नौकरी यदि 10 साल भी रही तो लगभग 40 से 50 लाख तक की रिकवरी एक शिक्षक से होगी।