भगवान परशुराम ने की थी पुरा महादेव मंदिर की स्थापना, यहीं पर मिली हत्या की ग्लानि से मुक्ति
अगर आप पश्चिमी यूपी में रहते हैं और नए साल पर किसी तीर्थ स्थल पर जाना चाहते हैं तो बागपत बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। यहां स्थित पुरा महादेव मंदिर प्राचीन होने के साथ ऐतिहासिक धरोहर भी है।
UP Tourist Place: नया साल आने में कुछ ही दिन रह गए हैं। ऐसे में आप किसी पवित्र धार्मिक स्थल जाने का प्लान बना रहे हैं तो बागपत बेस्ट होगा। दरअसल यहां के कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक पुरा महादेव मंदिर भी है। यह भगवान महादेव के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यहां भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती हैं। हर सोमवार मंदिर में जलाभिषेक करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। वहीं, सावन के महीने में पश्चिमी यूपी के ज्यादातर लोग यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं।
बागपत रेलवे स्टेशन से करीब 23 किलोमीटर दूर पुरा महादेव मंदिर है। इसे परशुरामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह ऐतिहासिक के साथ पौराणिक स्थल भी है। मान्यताओं के अनुसार, अपने पिता के कहने पर, परशुराम ने एक ही झटके में अपनी माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया। जिसके बाद उन्हें मां की हत्या की ग्लानि अंदर से खाए जा रही थी। इस पर भगवान परशुराम ने आत्मशांति के लिए कजरी वन के करीब शिवलिंग शिवलिंग की स्थापना कर महादेव की पूजा की। उनकी तपस्या से प्रशन्न होकर भगवान शिव ने माता रेणुका को फिर से जीवित कर दिया।
खुदाई के दौरान मिला शिवलिंग
एक अन्य कहानी के मुताबिक एक बार रुड़की स्थित कस्बा लंढौरा की रानी अपने लाव-लश्कर के साथ कहीं जा रही थीं। इस दौरान उनका हाथी इस स्थान पर रुक गया। तमाम कोशिशों के बाद भी वह हिलने का नाम नहीं ले रहा था। इस पर रानी ने उस स्थान की खुदाई कराई तो वहां से शिवलिंग मिला। जिसके बाद रानी ने इस स्थान पर शिव म मंदिर का निर्माण कराया। अब यहां लाखों श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि रावण ने भी यहां महादेव की पूजा की थी।
महाशिवरात्रि में लगता है मेला
सावन, महाशिवरात्रि और हर सोमवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है। दूर-दूर से लोग यहां महादेव के दर्शन को आते हैं। महाशिवरात्रि के समय यहां की रौनक देखते ही बनती है। इस दौरान यहां मेले का आयोजन कराया जाता है।