भगवान ब्रह्मा ने की है यूपी के इस मंदिर की स्थापना, दिन में तीन बार रूप बदलता है शिवलिंग
सीतापुर का नैमिषारण्य धार्मिक तीर्थ स्थल है। यहां स्थित भूतेश्वर मंदिर को कोतवाल की संज्ञा दी गई है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी।
यूपी के मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ ऐतिहासिक हैं तो कुछ बेहद ही प्राचीन। इसी कड़ी में सीतापुर का भी नाम आता है। यहां स्थित नैमिषारण्य भूतेश्वर मंदिर भी है। काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह यह भी प्राचीन मंदिर है। यह कई मायनों में बेहद खास है। ऐसा कहा जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रूप बदलता है। सावन का महीना हो या सोमवार का दिन यहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से लोग यहां आते रहते हैं।
नैमिषाण्य 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि है और यहीं पर भूतेश्वर नाथ का मंदिर स्थापित है। यह मंदिर प्राचीन होने के साथ ही रहस्यमयी है। यहां भगवान शिव के साकार विग्रह स्वरूप के दर्शन होते हैं। इसलिए बाबा भूतेश्वर नाथ को नैमिषारण्य का कोतवाल भी कहा जाता है। मंदिर में स्थित शिवलिंग तीन बार अपना रूप बदलता है। सुबह के समय बालक के रूप में, दोपहर में रौद्र रूप और शाम को दयालु रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। वहीं मान्यता है कि इसे भगवान ब्रह्मा ने स्थापित किया है।
वैसे तो मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन सावन और शिवरात्रि के समय यहां कोसो दूर से लोग आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शनभर से मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक श्रृंगार के समय जो शामिल होता है उस पर महादेव की विशेष कृपा बरसती है।
नैमिषारण्य के अन्य तीर्थ स्थल
नैमिषारण्य के अन्य तीर्थ स्थलों में ललिता देवी मंदिर, श्री नारद मंदिर, हवन कुंड, पंचप्रयाग, व्यास गद्दी, पंच पांडव मंदिर, हनुमान गढ़ी, पंचपुराण है। नैमिषारण्य स्थित सरोवर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु डूबकी लगाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण के वध के बाद 84 कोषी परिक्रमा की थी। इसके अलावा नैमिषारण्य में ही महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियां दान की थी जिससे इंद्र का ताकतवर हथियार वज्र बना था।