गढ़मुक्तेश्वर में मिली थी भगवान शिव के गणों को मुक्ति, कार्तिक महीने में लगता है भव्य मेला
यूपी में कई प्राचीन तीर्थ स्थल है, इनमें से ही एक हापुड़ भी है। यहां गढ़मुक्तेश्वर अपने आप में खास है। यहां स्थापित शिवलिंग मुक्तेश्वर महादेव मंदिर आज भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।
यूपी में कई प्राचीन तीर्थ स्थल है, इनमें से ही एक हापुड़ भी है। यहां गढ़मुक्तेश्वर अपने आप में खास है। यहां स्थापित शिवलिंग मुक्तेश्वर महादेव मंदिर आज भी लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान परशुराम को गुस्सा आया तो उन्होंने मुक्का मारा था जिससे शिवलिंग आधा धंस गया था। आज भी शिवलिंग पर निशान देखने को मिलता है।
दिल्ली से करीब 60 किलोमीटर दूर हापुड़ को पहले हरिपुर के नाम से जाना जाता था। साल 2011 में मायावती ने इसका नाम बदलकर पंचशील नगर कर दिया था। लेकिन 2012 में अखिलेश यादव ने नाम बदलकर फिर से हापुड़ रख दिया था। यहां स्थित गढ़मुक्तेश्वर एक धार्मिक तीर्थ स्थल है। जिसे लेकर शिवपुराण के अनुसार महर्षि दुर्वासा एक बार तपस्या में लीन थे। कभी शिव के गण वहीं घूमते हुए पहुंचे और उनका उपहास उड़ाने लगे। इस पर दुर्वासा ने क्रोधित होकर गणों को पिशाच बनने का श्राप दे दिया था। इस पर सुनकर शिव के गण मुक्ति होने के लिए प्रार्थना करने लगे। तब उन्होंने बताया कि शिवबल्लभ जाकर तपस्या करनी होगी। जिस पर भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गणों को मुक्ति दे दी और तब से इस स्थान का नाम गणमुक्तेश्वर और फिर बाद में गढ़मुक्तेश्वर हो गया। यहीं कारण है कि इस स्थान को मुक्तेश्वर भी कहा जाता है।
कार्तिक महीने में लगता है भव्य मेला
महाभारत काल के समय युधिष्ठिर ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी। दरअसल महाभारत के विनाशकारी युद्ध देखकर युधिष्ठिर को आत्मग्लानि हुई थी। इस पर उन्होंने कृष्ण के कहने पर गढ़मुक्तेश्वर में ही आकर शिव की पूजा की और गंगा स्नान करके पिंड दान किया। इसके बाद से हर साल कार्तिक के महीने में यहां गंगा किनारे भव्य मेले का आयोजन होता है। इस दौरान देश दुनिया से आए लाखों भक्त गंगा में डूबकी लगाते हैं।