वैज्ञानिकों ने लैब में गंदे पानी से पैदा की बिजली, किया मोबाइल चार्ज, भारत सरकार से मिला पेटेंट
एमएनएनआईटी के वैज्ञानिकों ने लैब में दूषित जल से बिजली पैदा की। शोध की पहली प्रक्रिया को भारत सरकार से दस साल का पेटेंट मिला। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रो. राधारानी ने माइक्रोबियल फ्यूल सेल बनाई।
एमएनएनआईटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। वैज्ञानिकों ने लैब में गंदे पानी से बिजली तैयार की है। खास बात यह है कि इनके इस काम को भारत सरकार से दस साल के लिए पेटेंट भी मिल गया है। इस शोध का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। खास तौर से कल-कारखानों से निकलने वाले उस प्रदूषित पानी के लिए यह वरदान साबित होगा, जिसकी वजह से नदियों तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल असर तो पड़ ही रहा है, कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं।
इस तकनीकी से कल-कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल का इस्तेमाल बिजली तैयार करने में किया जा सकेगा। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की डॉ. राधारानी को इसके लिए साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) से अहम प्रोजेक्ट मिला था, जिस पर उन्होंने अपनी टीम के साथ काम कर यह कामयाबी हासिल की है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत विभाग की लैब में ‘माइक्रोबियल फ्यूल सेल’ तैयार किया गया।
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जिससे उत्पन्न होने वाली बिजली से प्रयोग के तौर पर मोबाइल चार्ज किया गया। प्रयोग सफल रहा, जिसके बाद पूरी रिपोर्ट एसईआरबी को भेजते हुए पेटेंट के लिए आवेदन किया गया था। उन्होंने बताया कि बिजली तैयार करने के साथ ही इस प्रक्रिया से प्रदूषित जल का शोधन कर कपड़े धोने और सिंचाई आदि कार्य में प्रयोग भी किया जा सकेगा। बकौल डॉ. राधारानी विभाग के लैब में पंद्रह से बीस लीटर दूषित पानी से बिजली पैदा की गई।
सूक्ष्म जीवों से पैदा होते हैं इलेक्ट्रान
डॉ. राधारानी ने बताया कि दूषित जल को ‘माइक्रोबियल फ्यूल सेल’ (सूक्ष्मजीव ईंधन सेल) में डाला गया जो एक जैव-विद्युत-रसायन प्रणाली है और इससे बिजली पैदा की गई। दरअसल, पानी में सूक्ष्म जीवों को अलग किया गया। जो जीव हानिकारक पदार्थ खाते हैं। इससे इलेक्ट्रान पैदा होते है। सर्किट के माध्यम से इस इलेक्ट्रान को हम बिजली के रूप में परिवर्तित करते हैं।