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अतीक अहमद के शूटर को शस्त्र लाइसेंस देने के खिलाफ जांच शुरू, थानेदार-चौकी इंचार्ज समेत ये फंसे

पूर्व विधायक राजू हत्याकांड के आरोपी शूटर अब्दुल कवि के केस में सीओ चायल, थानेदार और चौकी इंचार्ज के खिलाफ एंटी करप्शन ने जांच शुरू की है। फरारी के दौरान शस्त्र लाइसेंस बना जिसका हर साल नवीनीकरण हुआ।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, प्रयागराजSat, 1 June 2024 06:48 AM
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पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड में लगभग दो दशक तक फरार रहा अतीक अहमद का शूटर अब्दुल कवि पर कौशाम्बी पुलिस मेहरबान थी। उसका न केवल शस्त्र लाइसेंस जारी किया, बल्कि हर साल नवीनीकरण भी होता रहा। इस प्रकरण में शासन के आदेश पर प्रयागराज एंटी करप्शन टीम ने जांच शुरू कर दी है। इसमें सीओ, थानेदार, चौकी इंचार्ज समेत अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच हो रही है। 

उमेश पाल हत्याकांड के बाद अब्दुल कवि के खिलाफ विधायक पूजा पाल ने शिकायत की थी। इसके बाद एसपी कौशाम्बी बृजेश श्रीवास्तव ने अब्दुल कवि के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया। उसके घर में छापामारी कर असलहों की बरामदगी की थी। इसके बाद अब्दुल ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पूछताछ में पता चला कि उसने पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के बाद कौशाम्बी से शस्त्र लाइसेंस जारी कराया। हर साल थाने की पुलिस उसका नवीनीकरण करती रही। 

पहले तो पुलिस अफसरों ने जांच की, लेकिन बाद में शासन के आदेश पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन को जांच सौंप दी गई। प्रयागराज यूनिट ने इस मामले में सीओ चायल श्यामकान्त, थानाध्यक्ष संदीपनघाट राकेश कुमार राय, चौकी प्रभारी हर्रायपुर कृष्ण कुमार यादव के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इस मामले में पुलिसकर्मियों का बयान दर्ज किया जा रहा है। एंटी करप्शन हर बिंदू की जांच कर रही है। यह पता लगा रही है कि पुलिस की गलती है या नहीं। क्योंकि पुलिसकर्मियों ने शुरुआती जांच में यही कहा कि प्रयागराज पुलिस उसे वांटेड करके थाने पर रिपोर्ट नहीं भेजी थी।

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राजूपाल हत्याकांड में गोली लगने से हुआ था जख्मी, विवेचना में आया नाम
अतीक अहमद का करीबी रहा अब्दुल कवि दो दशकों तक पुलिस के लिए चुनौती बना रहा। अतीक के कहने पर उसने विधायक रहे राजू पाल पर गोलियां बरसाई थीं। इस दौरान उसे भी गोली लग गई और अतीक ने उसका करेली में इलाज कराया था। राजू पाल की हत्या के बाद पूजा पाल ने मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन उस वक्त अब्दुल कवि का नाम सामने नहीं आया। 

2007 में बसपा शासन में जब अग्रिम विवेचना शुरू हुई तो अब्दुल कवि का नाम प्रकाश में आया लेकिन किसी ने उसे पकड़ा नहीं। इसके बाद जांच सीबीआई को मिली तो उसने अब्दुल कवि को वांटेड किया, लेकिन गिरफ्तार नहीं कर पाई। इस बीच 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या कर दी गई तब अब्दुल कवि की तलाश शुरू हुई। सीबीआई ने भी उसे वांटेड किया। एक लाख के इनामी अब्दुल कवि की तलाश में ताबड़तोड़ छापामारी की गई। 

मूलत: भकन्दा थाना सरायअकिल जिला कौशाम्बी के रहने वाला अब्दुल कवि आईएस 227 गैंग का सदस्य था। कौशाम्बी पुलिस ने उसके घर पर छापामारी की तो असलहों का जखीरा बरामद हुआ। अब्दुल कवि समेत 11 के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। अब्दुल कवि का भाई जेल गया। उसके सहयोगी पकड़े गए और आठ लाइसेंसी शस्त्र बरामद हुआ। इससे परेशान अब्दुल कवि ने लखनऊ कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 

कौशाम्बी पुलिस ने उसे कस्टडी रिमांड पर लेकर छह देसी बम और असलहों का जखीरा जमीन के अंदर से बरामद किया। राजूपाल हत्याकांड में अब्दुल कवि को सजा भी हो चुकी है। अन्य मुकदमों में अब जांच चल रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि पुलिस की सेटिंग से उसके असलहे का नवीनीकरण होता रहा या फिर लापरवाही से। कहीं इसके पीछे भ्रष्टाचार की बात तो नहीं थी। एंटी करप्शन की जांच पूरी होने पर ही खुलासा होगा।

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