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पॉलीटेक्निक में शुरू होंगे साइबर सुरक्षा, आईओटी समेत चार नए कोर्स, बढ़ेगा रोजगार

लखनऊ में अब पॉलीटेक्निक कॉलेजों के छात्र साइबर सुरक्षा, ड्रोन तकनीक, डाटा सांइस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की पढ़ाई करेंगे। प्रदेश सरकार ने राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेजों में सत्र 2022-23 में नए कोर्स शुरू किए।

Srishti Kunj सुशील सिंह, लखनऊFri, 16 Sep 2022 06:14 AM
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लखनऊ में अब पॉलीटेक्निक कॉलेजों के छात्र साइबर सुरक्षा, ड्रोन तकनीक, डाटा सांइस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की पढ़ाई करेंगे। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेजों में सत्र 2022-23 में ड्रोन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डाटा साइंस एंड मशीन लर्निंग व साइबर सिक्योरिटी के चार नये पाठ्यक्रम शुरू किये हैं। इन पाठ्यक्रमों में इच्छुक अभ्यर्थियों को दाखिला संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद द्वारा करायी जा रही पॉलीटेक्निक काउंसलिंग से मिलेगा। 

सरकार ने पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इन पाठ्यक्रमों को शामिल किया है। प्राविधिक शिक्षा परिषद ने नए पाठ्यक्रमों का कार्यक्रम जारी कर दिया है। कॉलेजों के शिक्षकों प्रशिक्षण दिया जा रहा है। चारों पाठ्यक्रम एक-एक साल के हैं। ग्रेजुएशन पास ही छात्र इसमें दाखिला ले सकेंगे। हर कॉलेज में 75-75 सीटे हैं। लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, प्रयारागज, वाराणसी समेत दर्जन भर जिलों के सिर्फ राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेजों में यह पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।

छात्र ड्रोन तकनीक सीखेंगे
लखनऊ के पॉलीटेक्निक के प्रधानाचार्य राकेश वर्मा ने बताया कि उनके यहां पीजी डिप्लोमा इन साइबर सिक्योरिटी और पीजी डिप्लोमा इन ड्रोन टेक्नोलॉजी का नया पाठ्यक्रम शुरू हुआ है। काउंसलिंग के जरिए अभ्यर्थी दाखिले ले रहे हैं। बच्चे साइबर सुरक्षा से जुड़ी आधुनिक तकनीक के साथ ड्रोन बनाना सीखेंगे। पाठ्यक्रम के अनुसार उपकरण और संसाधन आदि जुटाए जा रहे हैं।

इंटरनेट से वस्तुओं को जोड़ना सीखेंगे
राजकीय महिला पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य संजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उनके कॉलेज में पीजी डिप्लोमा इन इंटरनेट ऑफ थिंग्स पाठ्यक्रम जोड़ा गया है। आईटी पाठ्क्रम के शिक्षक ही इन बच्चों को पढ़ाएंगे। शिक्षकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम उत्पादों की डिजाइन और प्रोटोटाइप के साथ नवीन माइक्रो कंट्रोलर पर केंद्रित है। इसमें वस्तुओं को इंटरनेट से एक-दूसरे से जोड़ने में मदद करेगा।

रोजगार मिलेगा
प्रधानाचार्यों का कहना है कि यह पाठ्यक्रम आधुनिक तकनीक पर आधारित हैं। इसमें रोजगार के अवसर अधिक हैं। इसकी पढ़ाई पूरी करने छात्रों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इन तकनीकों का देश में तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। इसी के चलते सरकार ने यह पाठ्यक्रम शामिल किये हैं।

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