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पीलीभीत टाइगर रिजर्व के होम स्टे में बंगाली भोजन का आनंद उठा सकेंगे पर्यटक, मिलेगा देसी खाना

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के होम स्टे में बंगाली भोजन का आनंद उठा सकेंगे पर्यटक। पीलीभीत में शारदा सागर डैम की तलहटी में होम स्टे शुरू किया गया। बंगाली घरों में रुकते हुए देसी खानपान का आनंद ले सकेंगे।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, पीलीभीतMon, 25 Dec 2023 06:55 AM
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वन्यजीवों के संरक्षण और पर्यटन को लगातार बढ़ावा दे रहे पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने अब बंगाली संस्कृति और इसके व्यंजनों को भी प्रमोट करने की तैयारी की है। पीटीआर में लगातार खुल रहे निजी क्षेत्र के होम स्टे के बाद अब वन विभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने संयुक्त रूप से एक होम स्टे विकसित कर दिया है। शुरुआती दौर में इसमें गैर जनपदों से आकर सैलानी रुकेंगे।

चूका का आकर्षण बनने वाले शारदा सागर डैम की तलहटी में बसे सेल्हा गांव में सूर्यास्त और सूर्योदय की छटा देखने के साथ ही सैलानी होम स्टे का आनंद उठा सकेंगे। इसे अब औपचारिक रूप से शुरू कर दिया गया है। इसमें रहने और रुकने के लिए सैलानी स्वतंत्र हैं। यहां सैलानियों की मेजबानी करते हुए बंगाली समुदाय के लोग अपनी संस्कृति को भी प्रस्तुत करते दिखेंगे।

सेल्हा बनेगा पीटीआर में मॉडल
बंगाली समुदाय की बस्ती वाले सेल्हा गांव में ईको विकास समिति के जरिए महिलाओं को इसमें प्रमोट किया गया है। यहां बंगाली तौर-तरीकों वाला नाश्ता और व्यंजन लोगों को मिलेगा। यदि कहीं कुछ और खानपान का मन है तो सैलानियों को पास में ही सप्तझाल के नजदीक बनी कैंटीन का भी लाभ मिल जाएगा।

मेजबानी में आगे होते हैं बंगाली
वर्षों पहले बंगाल से आकर बसे बंगाली समाज के लोग मेजबानी में काफी आगे होते हैं। यहां अगर सेल्हा के प्रोजेक्ट को कामयाबी मिलती है तो वन विभाग विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से और होम स्टे शुरू करेगा। यहां देशी व्यंजन और चाय-नाश्ता आदि मिलेगा।

पहले लखीमपुर, फिर आएंगे बहराइच के सैलानी
सबसे पहले 16 सदस्यीय दल यहां खीरी के मोहम्मदी से आकर रुकेगा और अपने अनुभव बताएगा। इसके बाद बहराइच के कर्तनिया घाट से सैलानियों को यहां रुकने का मौका मिला है। इन लोगों के अनुभव विभागीय अधिकारियों को आगे की रणनीति बनाने में सहयोग करेंगे।

वहीं, पीटीआर के उपनिदेशक नवीन खंडेलवाल ने बताया कि यह ज्वाइंट वेंचर है। इसकी कामयाबी को लेकर हम आशान्वित हैं। निजी क्षेत्र के कई होम स्टे के बाद यह पहल की गई है ताकि सैलानियों को निराशा न होने पाए। उधर, डब्ल्यूडल्यूएफ के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि एक प्रयास किया गया है, अब यह कितना सफल होगा यह आने वाले दिनों में सामने जाएगा। यहां रहने, रुकने और देसी अंदाज वाला पर्यटन सैलानियों को आकर्षित करेगा। 

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