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UP PCS J परीक्षा में अवसरों का बंधन समाप्त किए जाने की मांग

लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे परीक्षा को अवसर के बंधन से मुक्त करने की मांग उठी है। चार अवसर की बाध्यता और आयु सीमा कम होने से परेशान प्रतियोगी छात्र इस मांग को लेकर सूबे के विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश...

इलाहाबाद। प्रमुख संवाददाता Mon, 4 Dec 2017 09:29 PM
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लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे परीक्षा को अवसर के बंधन से मुक्त करने की मांग उठी है। चार अवसर की बाध्यता और आयु सीमा कम होने से परेशान प्रतियोगी छात्र इस मांग को लेकर सूबे के विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक से मिलने की तैयारी में हैं।


आयोग की पीसीएस परीक्षा में अवसर की कोई बाध्यता नहीं है। सपा शासनकाल के दौरान अधिकतम आयु सीमा भी बढ़ाकर 40 वर्ष कर दी गई थी। यहां तक की संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा यानी आईएएस परीक्षा में भी प्रतियोगी छात्रों को छह अवसर दिए जाते हैं। लेकिन पीसीएस जे में सिर्फ चार अवसर ही मिलते हैं। अधिकतम आयु सीमा भी 35 वर्ष ही है।

नियमित नहीं है यह भर्ती
पीसीएस जे के साथ एक खामी यह भी है कि भर्ती नियमित नहीं है। वर्ष 2006 के बाद 2012 और 2013 में पीसीएस जे की भर्ती हुई। 2014 में भर्ती नहीं हुई। 2015 और 2016 में भर्ती हुई तो 2017 का सत्र शून्य हो गया। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि चार अवसर का बंधन और पीसीएस की तुलना में आयु कम होने से उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है। इसलिए प्रतियोगियों की मांग है कि इस भर्ती में भी अवसर की बाध्यता समाप्त कर 35 वर्ष तक परीक्षा देने की व्यवस्था की जाए। अन्यथा अवसर की संख्या को चार से बढ़ा आईएएस की तरह छह कर दिया जाए।

दूसरे राज्यों में नहीं है बाध्यता
प्रतियोगियों ने इस मांग के समर्थन में मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि राज्यों में होने वाली न्यायिक सेवा भर्ती के प्रमाण जुटाए हैं। इनका कहना है कि दूसरे राज्यों में अवसर की बाध्यता नहीं सिर्फ अधिकतम आयु सीमा का ही बंधन है। प्रतियोगी कुलदीप श्रीवास्तव, चंद्र प्रकाश पाठक, देवेश तिवारी और शिप्रा मिश्रा इस मांग को लेकर विधि एवं न्याय मंत्री से मिलने की तैयारी में हैं। विधिक परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली कोचिंग जूडिशियल स्टडी सेंटर के निदेशक आरएन राय भी प्रतियोगी छात्रों की इस मांग के समर्थन में हैं। उनका कहना है कि अवसर की बाध्यता को समाप्त करना प्रतियोगी छात्रों के हित में होगा।

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