यूपी मदरसा फर्जीवाड़ा: जिम्मेदारों के खिलाफ होगी एफआईआर, छात्र-छात्राओं की स्कॉलरशिप कर गए हजम
आजमगढ़ में एसआईटी जांच में पाए गए 219 फर्जी मदरसों और इनमें से 39 मदरसों को हुए करीब 16 करोड़ रुपये के भुगतान के फर्जीवाड़े में जल्द ही जिम्मेदारों पर शिकंजा कसेगा। एसआईटी ने जांच रिपोर्ट जमा की।
आजमगढ़ में एसआईटी जांच में पाए गए 219 फर्जी मदरसों और इनमें से 39 मदरसों को हुए करीब 16 करोड़ रुपये के भुगतान के फर्जीवाड़े में जल्द ही जिम्मेदारों पर शिकंजा कसेगा। एसआईटी ने जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है। इस पूरे फर्जीवाड़े में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी और उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के उस समय के रजिस्ट्रार की भूमिका भी घेरे में है।
गृह विभाग ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से इस बारे में विस्तृत ब्यौरा मांगा है। विभाग के अफसरों के मुताबिक जल्द ही संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने की संस्तुति कर दी जाएगी। आजमगढ़ में मान्यता प्राप्त मदरसों की एसआईटी जांच में खुलासा हुआ कि 219 मदरसे सिर्फ कागजों में ही चल रहे थे। 39 मदरसे तो ऐसे अनुदानित रहे, जिन्हें सरकारी भुगतान भी किया गया। ऐसे एक मदरसे में तीन शिक्षक होते हैं। इस तरह एक मदरसे में 43.20 लाख रुपये प्रति वर्ष दिए गए। इस तरह 10 साल में करीब 16 करोड़ रुपये से ज्यादा शिक्षकों को बतौर मानदेय भुगतान किया गया।
अधिकतर मदरसों को मान्यता वर्ष 2003 से 2005 के बीच दी गई। वर्ष 2017 में एसआईटी को जांच मिलने के बाद भुगतान आदि पर रोक लगाई गई। इन फर्जी मदरसों के फर्जी छात्र-छात्राओं के नाम पर लाखों रुपये की छात्रवृत्ति की रकम भी डकारी गई। सवाल यह उठ रहा है कि जब मदरसा पोर्टल पर सत्यापन हुआ तो फिर कैसे इन फर्जी मदरसों के शिक्षकों को मानदेय और छात्रवृत्ति का भुगतान कर दिया गया?