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केजीएमयू ने की प्रोस्टेट कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन्स की पहचान, शोध की रिपोर्ट जारी

केजीएमयू ने प्रोस्टेट कैंसर के जिम्मेदार जीन्स पहचाने। बायोकेमिस्ट्री विभाग के शोध में 20 टारगेटेड जीन इसके जिम्मेदार मिले। रिपोर्ट इंडियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल बायोकेमिस्ट्री ने प्रकाशित की।

Srishti Kunj रजनीश रस्तोगी, लखनऊFri, 5 July 2024 06:43 AM
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बढ़ती उम्र में पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या आम है। समय पर पहचान न होने और सही इलाज न मिलने से जान पर बन आती है। अब केजीएमयू के माइक्रो बायोलॉजी विभाग ने प्रोस्टेट कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन्स का पता लगाने का दावा किया है। प्रोस्टेट से पीड़ित मरीजों के रक्त नमूनों की जांच में कैंसर के लिए जिम्मेदार माइक्रो आरएनए का पता लगाया है। इस शोध को इंडियन जरनल ऑफ क्लीनिकल बायोकेमिस्ट्री ने प्रकाशित किया है। यह शोध बायो इनफॉरमेटिक्स टूल्स (इंटरनेट पर प्रोस्टेट कैंसर के उपलब्ध डाटा) के आंकड़ों के आधार पर किया गया है। 

माइक्रो बायोलॉजी विभाग के डॉ. मोहम्मद कलीम अहमद ने बताया कि 190 से अधिक माइक्रो आरएनए प्रमुख हैं। इनमें से सिर्फ नौ माइक्रो आरएनए के 20 टारगेट जीन्स प्रोस्टेट कैंसर बढ़ाने में जिम्मेदार हैं। यह जीन्स एकेटी-1, ईपी-300, ई-2 एफ-1, केआरएएस, एआर, सीआरईबी-5, सीसीएनडी-1, सीडीकेएनए-1, ईजीएफआर, ईआरबीबी-2, एफजीएफआर-1, एफओएक्सओ-1, आइकेबीकेजी, आईजीएफ-1 आर, एमएपीके-1, पीटीईएन, पीआईके-3 आर-1 और टीपी-53 हैं। डॉ. कलीम ने बताया कि दो माइक्रो आरएनए से रोग प्रसार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

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डॉ. कलीम ने बताया कि 50 साल की उम्र पार करने वालों पुरुषों को डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर प्रोस्टेट कैंसर की जांच करानी चाहिए। जिनके परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी हो उन्हें और अधिक संजीदा रहने की जरूरत है। धूम्रपान व मोटे लोगों में प्रोस्टेट कैंसर की आशंका सामान्य लोगों से कई गुना बढ़ जाती है। शुरुआत में प्रोस्टेट कैंसर का इलाज आसान है। बीमारी की पहचान में देरी से इलाज कठिन हो जाता है।

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
- बार-बार यूरिन महसूस होना
- यूरिन का प्रवाह कम होना
- रुक-रुक का यूरिन होना
- यूरिन करते समय दर्द या जलन
- मूत्राशय पर नियंत्रण न होना
- यूरिन में खून आना

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