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यूपी में रिसर्च से खुलासा, मम्मी पापा का झगड़ा देख बच्चे बन रहे बहानेबाज

एक रिसर्च से खुलासा हुआ कि मम्मी पापा का झगड़ा देखकर बच्चे बहानेबाज बन रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल मनोविज्ञान की काउंसिलिंग में सच सामने आया है। बच्चों की प्रवृत्ति बदल रही है।

Srishti Kunj आशीष दीक्षित, कानपुरMon, 6 May 2024 08:36 AM
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कानपुर शहर के पॉश इलाके में रहने वाला सात साल का बालक अक्सर सिर दर्द, पेट में तकलीफ की बात बताता। स्कूल जाने से लेकर खेलने से भी मना कर देता। अक्सर अकेला रहना पसंद करता, जबकि डॉक्टरी जांच में वह फिट मिला। इसी तरह 10 वर्षीय बच्चा भी पढ़ने-लिखने व खेलने कूदने से जी चुराता है। अलग-अलग बहाने बनाकर खुद के बीमार होने के बारे में बताता। ये दो मामले महज यह बताने के लिए हैं कि मम्मी पापा के बिगड़े रिश्ते बच्चों को बहानेबाज बना रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल मनोविज्ञान विभाग में आए बच्चों की काउंसिलिंग में यह चौंकाने वाला सच सामने आया है। पढ़ने- लिखने से भागना और खेलने-कूदने से भी दूरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है।  

बात-बात पर झगड़ना या बहस का बुरा असर
बाल मनोविज्ञान विभाग में छह माह के दौरान 32 बच्चे ऐसे आए हैं, जो पढ़ने में ही नहीं बल्कि खेलने से भी जी चुराते थे। यहां तक घर पर भाई-बहनों व अन्य रिश्तेदारों से भी ज्यादा बात नहीं करते। ज्यादातर समय अकेला रहना ही पसंद थे। काउंसिलिंग में देखा गया कि माता-पिता के बीच बात-बात पर झगड़ना या बहस करने का नकारात्मक असर बच्चों पर पड़ रहा है। रोज-रोज यही देखने व सुनने से उनकी दिनचर्या ही बदल रही है। उनका पढ़ने से लेकर खेलने में भी मन नहीं लगता है। 

सिर दर्द, पेट में तकलीफ से लेकर बुखार का बहाना
विभाग में आए बच्चों के केस में देखा गया कि बच्चे सिर दर्द, पेट में तकलीफ से लेकर बुखार और जी मिचलाने का बहाना रोज-रोज बनाते हैं। शुरू में माता-पिता भी उनकी बातों को सही मानते हैं, लेकिन बाद में डॉक्टर को दिखाने पर वह फिट मिलते हैं। 

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सीधे असर डालता है बड़ों का रवैया और माहौल
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की बाल मनोविज्ञान विभाग की आचार्य डॉ. आराधना गुप्ता का कहना है कि बच्चों का मन बड़ा कोमल होता है। माता-पिता के खराब रिश्ते और माहौल का असर सीधे तौर पर पड़ता है। बच्चों के केस में देखा गया कि इन सबकी वजह से बच्चे बहानेबाजी करने लगे हैं। पढ़ाई से लेकर खेलने तक से बचने के लिए कोई न कोई परेशानी बता रहे हैं, जबकि वह जांच में स्वस्थ निकलते हैं। खासकर 4 से 12 साल तक की उम्र में इनका काफी हद तक प्रभाव पड़ता है।

बच्चों की बहानेबाजी के पीछे ये भी कारण
- माता-पिता के बीच तनातनी व विवाद 
- घर और आसपास का खराब माहौल
- आर्थिक तंगी से सुविधाओं की कमी 
- बार-बार इच्छाओं को मारने का दबाव 

इन बातों का रखें ख्याल
- बच्चों के सामने कोई विवाद न करें 
- घर व आसपास का माहौल बेहतर रखें 
- बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें 
- हर समय उनकी बातों को अनसुना न करें 
- अपनी मर्जी हर समय थोपने का प्रयास न करें

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