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यूपी के डॉक्टरों ने किया शोध; बताया करें योग के ये तीन आसन, हो जाएगी नार्मल डिलीवरी

यूपी के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की डॉ. सीमा द्विवेदी की टीम ने शोध किया। इसमें बताया कि योग के तीन आसन कराइए तो नार्मल डिलीवरी हो जाएगी। गर्भ की शुरुआत से प्रसव तक नियमित तीन तरह के आसन कराए जाने हैं।

Srishti Kunj आशीष दीक्षित, कानपुरThu, 29 Feb 2024 07:55 AM
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योग सिर्फ स्वस्थ व निरोगी ही नहीं रखता है, बल्कि इसके आसन नॉर्मल डिलीवरी कराने में भी मददगार हैं। इससे जच्चा-बच्चा की सेहत भी दुरुस्त रहती है। यह कोई अंदाजा नहीं बल्कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. सीमा द्विवेदी की टीम के शोध का निष्कर्ष है। शोध में संपूर्ण गर्भावस्था काल में नियमित रूप से योग आसन कराए गए। प्रसव पीड़ा भी कम हुई, जबकि शिशु को भी किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई।

टीम ने चार साल तक जच्चा-बच्चा अस्पताल में आने वाली पांच सौ गर्भवतियों पर अध्ययन किया। शोध में उत्कटासन (कुर्सी आसन), बद्धकोणासन (तितली आसन) व पवनमुक्तासन (मलासन) गर्भवतियों को नियमित रूप से कराया गया। परिणाम यह रहा कि 500 में से 450 यानी 90 फीसदी महिलाओं ने नॉर्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म दिया। 

20 से 35 साल की गर्भवतियों पर शोध 
शोध में 20 से 35 साल की गर्भवतियों को शामिल किया गया। शोध जिन पर किया गया, उनमें से 70 फीसदी महिलाएं पहली बार गर्भवती हुई थीं। वहीं 30 फीसदी के पहले से बच्चे थे। 

एक माह तक दिन में 15 मिनट तक योग 
बताया गया कि गर्भवती होने के शुरुआती एक महीने तक तितली, कुर्सी व मलासन योग आसन दिन में तीन बार कराया गया। सुबह उठने के बाद पांच मिनट तीनों आसन कराए गए। दोपहर में खाने से पहले पांच मिनट तीनों आसन का अभ्यास कराया गया। वहीं रात में खाना खाने से पहले पांच मिनट आसन कराए गए। 

दूसरे माह से प्रसव तक रोज 30 मिनट  
शोध टीम ने गर्भवस्था के दूसरे माह से उत्कटासन (कुर्सी), बद्धकोणासन (तितली) व पवनमुक्तासन (मलासन) के अभ्यास का समय बढ़ा दिया। सुबह उठने के बाद, दोपहर व रात में खाना खाने से पहले दस-दस मिनट तक आसन का अभ्यास करना था। एक दिन में तीन बार में 30 मिनट तक योगासान कराया गया। 

प्रसव के दौरान दौरान हुई कम पीड़ा, शिशु भी स्वस्थ
शोध में दावा किया गया कि नियमित रूप से नौ माह तक योगासान करने से प्रसव के दौरान कम पीड़ा हुई। प्रसव में समय भी कम लगा। सबसे खास शिशु भी जन्म के समय स्वस्थ हुआ। उसका वजन भी औसत दो किलो सात सौ ग्राम से लेकर तीन किलो तक रहा।

शोध से जुड़े प्रमुख तथ्य 
- 04 साल तक डॉक्टरों की टीम ने किया शोध 
- 500 गर्भवती महिलाओं को किया गया शामिल 
- 20 से 35 साल की गर्भवतियों ने अपनाया योग 
- 90 फीसदी गर्भवतियों का हुआ सामान्य प्रसव 
- 15 मिनट रोज शुरुआती एक माह में किया योग 
- 30 मिनट तक रोजाना प्रसव तक किया योगासान 

10 फीसदी मामले फेल होने के पीछे कई वजह 
शोध में शामिल 10 फीसदी गर्भवतियों पर योग आसान का सीधा असर न होने के पीछे कई वजह बताई गई हैं। गर्भवती में पहले से कोई गंभीर बीमारी, दर्द की कोई दवा का सेवन, गर्भ में शिशु का उल्टा होना, मल त्याग देना समेत कई कारण रहे। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर की प्रोफेसर, डॉ. सीमा द्विवेदी ने कहा कि चार साल तक पांच सौ गर्भवतियों को तीन योग आसन नियमित रूप से कराए गए। शोध के जरिए यह पता लगाना था कि योग निरोगी होने के साथ सामान्य प्रसव में कितना सहायक है। इसके परिणाम आश्चर्यजनक रहे। 90 फीसदी ने नॉर्मल डिलीवरी की। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा भी स्वस्थ हैं।

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