काफी ग्रामीण जेल में, बाकी के घरों पर लटका ताला; विकास दुबे के बिकरू कांड के चार साल
बिकरू कांड के आज चार साल पूरे हो गए हैं। मगर अभी भी घटना को लेकर गांव में जो थोड़े बहुत लोग बच गए हैं उनके जेहन में यादें ताजा हैं। स्थिति यह है कि अब अधिकांश घरों में ताला लटका है।
कानपुर के चौबेपुर में बिकरू कांड जहां पुलिस कर्मियों की निर्मम हत्या की गई। उसके बाद कुख्यात विकास दुबे समेत छह आरोपितों को एनकाउंटर में मार गिराया गया। बिकरू कांड के आज चार साल पूरे हो जाएंगे। मगर अभी भी घटना को लेकर गांव में जो थोड़े बहुत लोग बच गए हैं उनके जेहन में यादें ताजा हैं। स्थिति यह है कि अधिकांश घरों में ताला लटका है। उस कांड के आरोपितों के खिलाफ चार साल बाद भी पुलिस की कार्रवाई निरंतर जारी है।
ईडी से लेकर सीबीआई तक जांच कर आरोपितों की सम्पत्तियों के जब्तीकरण की कार्रवाई से लेकर अन्य कार्रवाई की जा चुकी है। बता दें कि 2 जुलाई 2020 की देर रात बिकरू गांव में विकास दुबे व उसके गुर्गों ने घेरकर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था। जवाब में पुलिस ने विकास दुबे, प्रभात मिश्रा, प्रवीन दुबे, अमर दुबे, अतुल दुबे, प्रेम प्रकाश पांडेय को एनकाउंटर में मार गिराया था।
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घटनास्थल वाली गली के अधिकांश घरों में बंद बिकरू गांव की जिस गली में घटना हुई थी। उस गली के तमाम लोग जेल में हैं। घरों में ताला बंद है। विकास दुबे का खंडहर हुआ मकान जंगल में बदल चुका है। जिसमें जंगली जानवरों का डेरा है। गोपाल सैनी के मकान में ताला बंद है, गोबिंद सैनी का मकान पुलिस ने सील कर दिया था। अमर दुबे की दादी भी घर में ताला डाल कर के जा चुकी है। बाल गोबिंद के घर पर कोई नहीं। हीरू दुबे के घर पर ताला लगा था। पास के कई घरों में ताला लगा मिला।
हालांकि सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों और विकास दुबे की मौत के बाद दर्ज हुए तमाम मामलों में से सिर्फ चार मामलों में ही जांच पूरी हो सकी है। पुलिस कर्मियों की हत्या से लेकर तमाम मामलों में आज भी पुलिस या तो जांच को पूरा नहीं कर सकी या फिर कोर्ट में अक्सर उन मामलों में कोर्ट में सुनवाई में चल रही है।