जानवरों को रेल पटरियों पर कटने से रोकेगा AI, तकनीक का ऐसे होगा इस्तेमाल
जानवरों को रेल पटरियों पर कटने से रोकने के लिए एआई का इस्तेमाल होगा। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के लिए भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड ने तकनीक तैयार की है। 500 मीटर पहले अलार्म बताएगा।

आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस अब जानवरों को ट्रेन से कटने से बचाएगा। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने एआई मॉडल विकसित किया है। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के लिए यह एआई मॉडल तैयार किया गया है। इस तकनीक को रेलवे को देकर ट्रायल कराने की तैयारी की जा रही है। एआई के जरिये ट्रेन के ड्राइवर को 500 मीटर पहले ही पता चल जाएगा कि रेल पटरी या उसके किनारे जानवर हैं। इंजन में ट्रिगर अलार्म बजते ही स्क्रीन पर उसका वीडियो भी दिख जाएगा और ड्राइवर अलर्ट हो जाएगा।
दुर्गम इलाकों की रेल लाइनों के लिए वरदान बनेगी
इस तकनीक से ट्रेन से आए दिन जानवरों के कटने (कैटिल रन ओवर) की दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा। इस तकनीकी का सबसे बड़ा फायदा जंगल वाले इलाकों में होगा। पहाड़ी इलाकों में भी रेल पटरियों के दोनों तरफ दीवारें या फेंसिंग विकसित करना बहुत मुश्किल होता है। इसके अलावा जहां फेंसिंग और दीवारें हैं, उनकी मरम्मत की जरूरत भी नहीं होगी और खर्च भी कम होगा। उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश जैसे राज्यों में जानवरों की ट्रेनों से आए दिन होने वाली भिड़ंत रुकेगी।
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ये होंगे फायदे
- पटरियों के दोनों तरफ बाउंड्रीवाल और फेंसिंग की जरूरत कम करेगी। इस तकनीकी को बनाने और मरम्मत में आने वाला खर्च बचेगा।
- ट्रेन ड्राइवर को यह तकनीकी न सिर्फ वीडियो इंजन में दिखाएगी, कोहरे में भी मददगार होगी।
- जंगली इलाकों में पटरियों और अगल बगल जानवरों के साथ पटरियों पर किसी भी रोड़े की जानकारी लोको पायलट को देकर दुर्घटनाएं रोकेगा।
उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ, हिमांशु शेखर उपाध्याय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे सुरक्षा और संरक्षा पर जोर देने वाली हर उच्च तकनीकी और नवाचार को अपना रहा है। इस एआई तकनीकी के रेलवे को हस्तांतरित होने पर दुर्गम इलाकों में जानवरों का अलर्ट ट्रेन ड्राइवर को मिलने से दुर्घटनाएं रुकेंगी।