पहली बार FIR पर भी लग सकता है UP गैंगस्टर एक्ट, चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला को राहत नहीं
पहली बार एफआईआर पर भी यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जा सकती है। इसे चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची एक महिला याचिकाकर्ता को निराशा ही हाथ लगी। सु्प्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।
सु्प्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि पहली बार किसी अपराध में शामिल पाए गए आरोपी पर भी उत्तर प्रदेश गैंगेस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। भले ही अधिनियम की धारा 2 (बी) सूचीबद्ध किसी भी असामाजिक गतिविधि के लिए केवल एक अपराध, प्राथमिकी, आरोप पत्र दायर किया गया हो।
जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में एक महिला द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। पहली बार किसी आपराधिक मामले में उसका नाम आया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केवल एक प्राथमिकी या चार्जशीट के आधार पर उसे 'गैगस्टर' या गैंग का सदस्य नहीं माना जा सकता है।
इस याचिका के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए राज्य ने कहा कि एक एफआईआर/ चार्जशीट के मामले में भी गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 (बी) में सूचीबद्ध असामाजिक गतिविधियों के लिए गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम 1999 और गुजराज आतंकवाद और संगठित अपराध अधिनियम, 2015 की तरह गैंगस्टर अधिनियम 1986 में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है कि किसी आरोपी पर मुकदमा चलाते समय, एक से अधिक अपराध या एफआईआर/ चार्जशीट होना चाहिए।