Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Election : Mau assembly seat Big challenge for political parties to penetrate Mukhtar Ansari stronghold

मऊ: मुख्तार अंसारी के गढ़ को भेदना सियासी दलों के लिए बड़ी चुनौती

उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट फिर सुर्खियों में है। पिछले पांच चुनाव से यहां मुख्तार का कब्जा है। इस बार उन्होंने यह सीट अपने बेटे के लिए छोड़ दी है। भाजपा अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के सहारे...

Shivendra Singh संजय मिश्र, मऊ Sun, 27 Feb 2022 04:55 PM
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उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट फिर सुर्खियों में है। पिछले पांच चुनाव से यहां मुख्तार का कब्जा है। इस बार उन्होंने यह सीट अपने बेटे के लिए छोड़ दी है। भाजपा अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के सहारे आत्मविश्वास से भरी है। राजनीतिक समीकरणों के बीच आम मतदाताअपना नफा-नुकसान तलाश रहा है।

दलित व मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर कभी कमल नहीं खिल सका है। यहां तक कि 2017 के चुनाव में जिले की चार में से तीनों सीटों पर भाजपा जीती लेकिन मऊ में सफलता नहीं मिल पाई। चुनाव के पहले तक विकास का मुद्दा हवा में तैरता रहता है लेकिन चुनाव आते ही अपराधमुक्त क्षेत्र व विकास हवा में चले जाते हैं। यहां मुस्लिम वोटरों के सहारे मुख्तार अपनी वैतरणी पार लगाते आए हैं। 1993 में इस सीट पर बसपा ने कब्जा किया था। इसके बाद 1996 में बसपा से पहली बार मुख्तार अंसारी ने जीत हासिल की। तब से 2002, 2007 में निर्दल और 2012 में कौमी एकता दल से उन्होंने कब्जा बरकरार रखा।

2017 में फिर बसपा से मुख्तार ने जीत हासिल की। इस बार बांदा जेल में बंद मुख्तार ने यह सीट अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए छोड़ दी है। ऐसे में बदले समीकरण के बीच सियासी लड़ाई रोचक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। राजनीतिक दलों के सामने मुख्तार के गढ़ को भेदना चुनौती है।

कौन-कौन प्रत्याशी
सुभासपा की ओर से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी इस बार मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अशोक सिंह को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने माधवेन्द्र बहादुर सिंह पर दांव खेला है। बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इस बार यहां मुकाबला कांटे का होने के आसार हैं।

प्रमुख मुद्दे
मऊ विधानसभा क्षेत्र में 50 हजार तकुओं वाली परदहां काटन मिल, 25 हजार तकुओं वाली स्वदेशी काटन मिल बंद हैं। इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसके अलावा बाल निकेतन पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग लंबे अर्से से चली आ रही है। ट्रेनों के आवागमन के दौरान घंटों शहर से कट जाना होता है। उच्च शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग कालेज, मेडिकल कॉलेज और सरकारी महाविद्यालय के लिए भी समय-समय पर मांग उठती रही है। सड़कों की खस्ता हालत भी समस्या है। इस चुनाव में यह मुद्दे प्रभावी रहेंगे।

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