यूपी कैबिनेट मीटिंग : परिवहन निगम के भवनों के लिए नि:शुल्क भूमि देने की मंजूरी
एनसीआर में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएमएस) की दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर परियोजना में आने वाले परिवहन निगम के भवनों का अन्यत्र निर्माण कराया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए परिवहन विभाग...
एनसीआर में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएमएस) की दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर परियोजना में आने वाले परिवहन निगम के भवनों का अन्यत्र निर्माण कराया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए परिवहन विभाग को निःशुल्क भूमि आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
सोमवार को मंत्रि परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी। प्रस्ताव में बताया गया कि आरआरटीएमएस परियोजना से क्षेत्र के समग्र विकास, व्यापक आर्थिक लाभ तथा श्रम एवं उद्योग की उत्पादकता दर बढ़ने की संभावना है। इसे देखते हुए परियोजना के तहत आने वाली परिवहन निगम की क्षेत्रीय कार्यशाला, आवासीय कॉलोनी व गेस्ट हाउस आदि का अन्यत्र निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए मेरठ की सरधना तहसील के ग्राम मुकर्रबपुर व पल्हेड़ा में चिह्नित भूमि (खाता संख्या-396 में से कुल रकबा 3.6220 हेक्टेयर) में से तीन एकड़ अर्थात 12140.55 वर्गमीटर भूमि को व्यापक जनहित एवं प्रदेश की जनता को सुगम परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए परिवहन निगम की वित्तीय स्थिति को देखते हुए राजस्व विभाग द्वारा परिवहन विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किए जाने की अनुमति दी गई। यह भूमि राजस्व अभिलेखों में श्रेणी 4क(ख), अन्य भूमि व सीलिंग के रूप में दर्ज है।
केंद्र सरकार ने देश के प्रमुख क्षेत्रीय केंद्रों को जोड़ने के लिए आरआरटीएस के तहत कुल आठ कॉरिडोर चिह्नित किए हैं। इनमें से दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर तीन प्राथमिकता वाले कॉरिडोर में से एक है, जिसे फेज-एक में लागू किया जा रहा है। लगभग 82 किलोमीटर लंबा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर देश का पहला आरआरटीएस कॉरिडोर होगा। यह दिल्ली में 13 और यूपी में 69.15 किमी का होगा। इस परियोजना पर कुल 30,274 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।