UP Board Result: फेल और कम अंक वाले स्टूडेंट्स आत्महत्या की ओर बढ़े, ऐसे समझाएं पैरेंट्स
इंटर की परीक्षा में फेल होने पर मिर्जापुर के छात्र अश्विनी सिंह ने मंगलवार दोपहर फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। ऐसे में पैरेंट्स बच्चों का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि रिजल्ट से पहले हर बच्चा तनाव में है।
इंटर की परीक्षा में फेल होने पर मिर्जापुर के छात्र अश्विनी सिंह ने मंगलवार दोपहर फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। ऐसे में पैरेंट्स बच्चों का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि रिजल्ट से पहले हर बच्चा तनाव में होता है। चाहे वो पढ़ने में तेज हो या कमजोर। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चे पर हर पल नजर रखनी चाहिए। रिजल्ट से पहले बच्चों का तनाव दूर करने की कोशिश करें। हो सके तो उनके साथ कोई गेम खेलें। रिजल्ट जारी होने की घोषणा के बाद या रिजल्ट जारी होने वाले दिन यदि बच्चे के व्यवहार में किसी तरह का गंभीर बदलाव नजर आए तो उसे इग्नोर कतई न करें। बच्चा अगर मजाक में भी कह रहा है कि रिजल्ट अच्छा नहीं आने पर वह आत्महत्या कर लेगा या घर नहीं आएगा तो इसे गंभीरता से लें और तुरंत उसे समझाएं। महान हस्तियों के उदाहरण देकर उन्हें समझाएं कि कम नंबर आए तो घबराने की जरूरत नहीं है। इम्तिहान तो जिंदगीभर चलते रहेंगे।
असफलता ही सफलता की कूंजी है
डीआईओएस शौकीन सिंह यादव ने बताया कि सभी इंटरमीडिएट व हाईस्कूल में उत्तीर्ण बच्चों को बधाई देता हूं,साथ ही शिक्षकों, अभिभावकों व छात्रों का बराबर का योगदान है। जिन दो बच्चों ने यूपी टापटेन में स्थान बनाया है। वह बच्चे आगे और बढ़े। जनपद व देश का नाम रोशन करें। सभी टापटेन बच्चों को जिला स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा। जिन बच्चों के अंक कम आए, वह लोग मेहनत करें। असफलता ही सफलता की कूंजी है।
बच्चों के बदलावों पर पैरेंट्स रखें नजर
सीओ सिटी बीएस वीर कुमार ने बताया कि रिजल्ट आने के बाद बच्चे के व्यवहार में हो रहे बदलावों पर भी पैरेंट्स को नजर रखनी चाहिए। क्योंकि रिजल्ट के बाद के कुछ घंटे बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में बार-बार रिजल्ट की बात करना ठीक नहीं होगा। खराब रिजल्ट आने पर बच्चे को लगता है कि वे माता-पिता की इच्छा को पूरी नहीं कर पाए। ऐसे में माता-पिता को बच्चों को तनाव से निकालना चाहिए।
बच्चे को विश्वास में लें
जिला अस्पताल के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ रोहताश ने बताया कि अभिभावक बच्चों पर विशेष ध्यान दें। बच्चें को विश्वास में लें। रिजल्ट आने से पहले अक्सर पैरेंट्स बच्चे के एडमिशन या इससे जुड़ी अन्य बातें करने लगते हैं। अगर इतना प्रतिशत आएगा तो इस कालेज में एडमिशन मिलेगा, इस तरह की बातें न करें। प्रतिशत के लिए न डाटें। रिजल्ट आने के बाद अगर वह खराब है या जैसा सोचा वैसा नहीं है तो बच्चे को विश्वास में लें और उसे समझाएं कि यहां से एक नई मंजिल उसका इंतजार कर रही है।