यूपी में स्कूल खुलने के एक महीने बाद भी नहीं बंटी पूरी किताबें, अब ये निर्देश जारी
यूपी में स्कूल खुलने के एक महीने बाद भी बच्चों को पूरी किताबें नहीं बंटी हैं। तीन से आठ तक के बच्चों को 82 प्रतिशत किताबें ही मिली। अब दो कार्यदिवसों के अंदर सभी बच्चों को किताबें देने के निर्देश दिए।
बेसिक शिक्षा परिषद के 1,33,035 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों में नया सत्र शुरू हुए एक माह बीत चुका है। लेकिन, कक्षा तीन से आठ तक के 82 फीसदी बच्चों को ही नि:शुल्क किताबें मिल सकी हैं। 2024-25 सत्र में नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण की तीन मई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के सभी 75 जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ब्लॉक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) तक 96.74 प्रतिशत किताबें पहुंचाई जा चुकी है। लेकिन, वितरण 82.16 फीसदी किताबों का ही हो सका है।
कक्षा तीन से आठ तक की करीब नौ करोड़ चार लाख किताबों का वितरण होना है। इनमें से शत-प्रतिशत पुस्तकों की सप्लाई जिलों को दी जा चुकी है। इनमें से 8,74,56,070 किताबें वितरण को भेजी जा चुकी है और 7,42,52,119 पाठ्य पुस्तकें बच्चों को मिल चुकी हैं। आपूर्ति के बावजूद एक करोड़ से अधिक किताबों का वितरण न होने के मामले को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने गंभीरता से लिया है।
सभी बीएसए और खंड शिक्षाधिकारियों को दो कार्य दिवस में शतप्रतिशत बच्चों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कक्षा एक और दो में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें लागू होनी है। किताबों को तैयार करने और मंजूरी में समय लगने के कारण अब तक इन किताबों की सप्लाई जिलों को नहीं हो सकी है।
सात जिलों में शत-प्रतिशत बच्चों को मिली किताबें
प्रदेश के 75 में से केवल छह जिलों के शत-प्रतिशत बच्चों को किताबें मिल चुकी है। कासगंज, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, पीलीभीत, बागपत, भदोही और सिद्धार्थनगर में सभी किताबों का वितरण हो चुका है। सबसे खराब स्थिति चंदौली और उन्नाव की है, जहां क्रमश: 45.89 और 46.93 प्रतिशत किताबें ही बांटी गई हैं।