कोरोना काल में हाईस्कूल पास करने वाले दें ध्यान! हाईकोर्ट के आदेश पर खाली मार्कशीट में मिलेंगे अंक
यूपी बोर्ड के सत्र 2020-2021 के हाईस्कूल के बच्चों को अब 15 नवंबर तक नंबर वाली मार्कशीट मिल जाएगी। कोविड काल के इन वर्षों के हाईस्कूल के बच्चों को बिना अंकों वाली मार्कशीट जारी कर प्रोन्नत कर दिया था।
यूपी बोर्ड के सत्र 2020-2021 के हाईस्कूल के बच्चों को अब 15 नवंबर तक नंबर वाली मार्कशीट मिल जाएगी। कोविड काल के इन वर्षों के हाईस्कूल के बच्चों को बिना अंकों वाली मार्कशीट जारी कर प्रोन्नत कर दिया गया था। इस पर चाइल्ड राइट्स एक्टिवस्ट नरेश पारस ने आगरा के 89 बच्चों के साथ मिलकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि कोरी मार्कशीट होने के कारण इंटर पास कर लेने पर भी उन्हें अन्य संस्थानों में दाखिला नहीं मिल रहा है। इस पर उच्च न्यायालय ने आदेश दिए कि स्कूलों को 20 सितंबर तक अंक भेजने होंगे। साथ ही बोर्ड को 15 नवंबर तक अंकपत्र जारी करने होंगे।
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बच्चों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी बच्चे नाबालिग थे, इसलिए सभी की पैरवी उन्होंने की। नौ माह चले इस केस में न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए कहा कि विद्यार्थियों ने जिन संस्थानों से हाईस्कूल में अध्यन किया है, उन्हें 20 सितंबर से पहले अधिसूचित अंक अपलोडिंग करने की व्यवस्था का कड़ाई से पालन किया जाए। विद्यालयों को हाईस्कूल की प्री-बोर्ड परीक्षा और 9वीं कक्षा के आधार पर परीक्षण सैद्धांतिक और व्यावहारिक, परियोजना कार्य के संबंध में क्रमशः 70 और 30 में से अंकों को स्पष्ट रूप से विभाजित करके बोर्ड को भेजने होंगे।
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संस्थानों को उपरोक्त अवधि के भीतर प्रतिवादी बोर्ड के सचिव के समक्ष उपरोक्त डाटा मैन्युअल रूप से उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं। साथ ही बोर्ड को निर्देशित किया है कि बोर्ड वही तंत्र अपनाएगा और लागू करेगा जो उसने 20 जून 2021 के शासनादेश के अनुसार अंगीकार और लागू किया था। संशोधित सूची के आधार पर अंकों की गणना और अंक प्रदान करेगा। यह प्रक्रिया बोर्ड की ओर से 15 सितंबर को या उससे पहले की जाए। क्योकि, इसमें शामिल छात्रों के शैक्षणिक करियर बचाने का मुद्दा है। बोर्ड अंक देने की अपनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 20 जून 2021 को जारी सरकारी आदेश के अनुसार संशोधित अंकपत्र, अंक और प्रतिशत अंकित जारी करेगा, जैसा कि उसने अन्य संस्थानों के बच्चों के संबंध में किया था।