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बारिश में शरीर पर बरसाती कीड़ों के हमले बढ़े, बीटल बाइट्स से इस तरह करें बचाव

बारिश में अब बरसाती कीड़े शरीर पर हमला कर रहे हैं। इन्हें 'बीटल बाइट्स' या 'इनसेक्ट रिएक्शन' कहा जाता है। इनमें तेजी से खुजली, असहनीय दर्द, लाल चकत्ते हो रहे हैं। जानें कैसे करें बचाव।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, आगराTue, 16 July 2024 10:06 AM
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बरसाती कीड़ों का हमला हो चुका है। शरीर पर कीड़े तेजी से हमला कर रहे हैं। इन्हें 'बीटल बाइट्स' या 'इनसेक्ट रिएक्शन' कहा जाता है। तेजी से खुजली, असहनीय दर्द, लाल चकत्ते हो रहे हैं। खास बात यह कि कीड़ा शरीर के जितने हिस्से पर चलता जाएगा, वहीं तक संक्रमण फैलाता जाएगा। बारिश और उमस भरे मौसम में इस तरह के कीड़े तेजी के साथ पनपते हैं। अब इनकी तादाद बढ़ गई है और हमलावर हो चुके हैं। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के त्वचा और चर्म रोग विभाग में प्रतिदिन आठ से 10 फीसदी मरीजों में कीड़े काटने के पीड़ित आ रहे हैं। 

एसएन मेडिकल कॉलेज में एक दिन में औसतन 300 मरीज आते हैं। यानि 25 से 30 मरीज कीड़ों के काटने से प्रभावित होने वाले हैं। यह सिर्फ एक सरकारी अस्पताल का आंकड़ा है। निजी डाक्टरों पर भी ऐसे मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। दरअसल इन कीड़ों का हमला खुली त्वचा पर होता है। यह आते-जाते में उन हिस्सों पर चिपककर काटते हैं। कुछ कीड़ों के त्वचा पर चलने मात्र से संक्रमण हो रहा है। जैसे मकड़ी के चलने पर होता है। इसे 'ट्रेलिंग साइन' कहा जाता है। गर्दन और हाथों पर कीड़ा काटने के मामले सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में लाल चकत्ते, खुजली, त्वचा का फूलना, दर्द होना शुरू हो जाता है। कई मामलों में असहनीय दर्द भी हो सकता है।

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'किसिंग साइन' जैसे चिपकता है कीड़ा
मान लीजिए कि कीड़ा बांह के मोड़ पर काटता है। ऐसे में अगर बाजू को मोड़ा जाएगा तो संक्रमित त्वचा का हिस्सा दूसरे भाग को छुएगा। इस स्थिति में संक्रमण दूसरे हिस्से पर चिपक जाएगा। यहा भी चंद मिनटों में चकत्ते पड़ जाते हैं। यानि संक्रमण तेजी के साथ फैलता है। ऐसे हिस्से को छूना तक नहीं चाहिए। किसी दूसरे व्यक्ति को भी इस हिस्से को छूने से बचना चाहिए।

खुद दवाइयां लगाने से बिगड़ रहे मामले
अक्सर कीड़ा आदि काटने पर लोग कैमिस्ट से क्रीम खरीदकर लगा लेते हैं। इनमें स्टेरायड होता है। चूंकि प्रभावित हुई त्वचा बेहद नम हो जाती है। यहां स्टेरायड लगाने से वह त्वचा के अंदर चली जाती है। इससे ठीक होने की बजाए घाय बन जाते हैं। मेडिकल कालेज में ऐसे कुल मरीजों में से 30 प्रतिशत ने बाजार से क्रीम लगाकर संक्रमण बढ़ाया है।

एसएनएमसी के त्वचा और चर्म रोग विभागाध्यक्ष, डा. यतेंद्र सिंह चाहर ने बताया इस तरह करें बचाव
- बारिश के दिनों हल्के और पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें
- पार्क, जंगल, अधिक पेड़-पौधे वाले स्थानों पर संभलकर जाएं
- सड़क किनारे लैंप पोस्ट, हैलोजन के नीचे खड़े नहीं होना चाहिए
- काटने पर खुद क्रीम न लगाएं, त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाएं
- प्रभावित हिस्से को खुजाना या दवाना और रगड़ना नहीं चाहिए 

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