68500 सहायक शिक्षक भर्ती में फिर सीबीआई जांच का मामला उठा, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- कहां तक पहुंची जांच
68500 भर्ती में फिर सीबीआई जांच का मुद्दा उठा है। रिजल्ट में गड़बड़ी पर कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- सीबीआई जांच कहां तक पहुंची। गड़बड़ी में सचिव परीक्षा नियामक निलंबित हुए थे।
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में हुई गड़बड़ी की सीबीआई जांच का जिन्न पांच साल बाद बोतल से फिर निकल आया है। सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश पर सीबीआई में दर्ज एफआईआर की वर्तमान स्थिति क्या है। इस मामले की सुनवाई जनवरी में रखी है।
नौ जनवरी 2018 को 68500 शिक्षक भर्ती के लिए जारी शासनादेश के आधार पर 27 मई को लिखित परीक्षा कराई गई। 13 अगस्त को घोषित परिणाम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिली थी। दो ऐसे अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था जो परीक्षा में शामिल ही नहीं थे। यही नहीं, परीक्षा में फेल 23 अभ्यर्थियों को भी पास कर दिया गया था। गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद कई अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं की थी।
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अनियमितता पर सरकार ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की सचिव डॉ. सुत्ता सिंह को आठ सितंबर 2018 को निलंबित कर दिया था। इस मामले में अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट के जस्टिस इरशाद अली ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। हालांकि बाद में सरकार की अपील पर डबल बेंच ने दिसंबर के दूसरे सप्ताह में अपने आदेश में सीबीआई जांच को औचित्यहीन माना था। हालांकि तब तक सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली थी। उसके बाद कुलदीप कुमार नाम के अभ्यर्थी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर दी थी। उस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में पांच दिसंबर को हुई।
इससे पहले अदालत ने यह निर्देश दिये थे कि इस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सक्षम प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिये। कहा गया था कि सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के आधार पर की गयी सहायक अध्यापकों की भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली 1981 के खिलाफ थी। इसी के बाद सहायक अध्यापकों के 68500 पदों पर शुरू की गयी सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच के आदेश दिये थे।