गोरखपुर जेल से 40 साल बाद रिहा हुए दो आर्दश कैदी, घरवालों ने मनाया जश्न
गोरखपुर मंडलीय कारागार में हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे 69 वर्षीय के शेषनाथ पुत्र चिखुरी निवासी हरैया जनपद बस्ती और 65 वर्षीय वंशबहादुर यादव पुत्र देवधारी निवासी बेलवा दाखली बड़हलगंज को...
गोरखपुर मंडलीय कारागार में हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे 69 वर्षीय के शेषनाथ पुत्र चिखुरी निवासी हरैया जनपद बस्ती और 65 वर्षीय वंशबहादुर यादव पुत्र देवधारी निवासी बेलवा दाखली बड़हलगंज को शासनादेश एवं पचास हजार के निजी मुचलका पर रिहा कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक इन दोनों हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा हुई थी,उसकी सजा वर्षों तक कारागार की चारदीवारी में जीवन के अनमोल पलों को बिताते हुए काट दिया।
शेषनाथ उर्फ दाढ़ी 28 साल के उम्र में ग्यारह दिसम्बर सन् 1981 में हत्या के मामले में जेल आये थे, जहां उसको 1982 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई, इस दौरान करीब छह साल सेंट्रल जेल वाराणसी में रहा उसके बाद प्रशासनिक आधार पर गोरखपुर जेल में भेज दिया गया था। तभी से शेषनाथ गोरखपुर जेल में सज़ा काट रहा था। वही वंशबहादुर 28 मार्च 2005 को हत्या के मामले में जेल आये, जहां क़रीब सत्रह साल की सजा गोरखपुर जेल में काट चुके है। इन दोनों को शासनादेश पर जेल प्रशासन द्वारा रिहा कर दिया गया,बताते चले कि गोरखपुर जेल से चार बंदियों का नाम शासन के आदेशानुसार गया था, उक्त आदेश के संदर्भ में दो कैदियों का नाम शासन से आया जिसपर दोनों को निजी मुचलका पर रिहा किया गया हैं।
जेल के सभी बंदियों के नाम ज़ुबान पर
शेषनाथ उर्फ़ दाढ़ी अपने काम की वजह अधिकारियों के चहेते रहे, जेल आने वाले सभी बंदियो का नाम पता उन्हें जुबानी याद रहता था, जेल में शेषनाथ कंप्यूटर से भी तेज जाने जाते थे, चंद सेकंडों में नाम पता बता देते। शेषनाथ और वंशबहादुर को जेल में बंदी वार्डर (सीडब्ल्यू) का दर्जा प्रशासन से प्राप्त था, जिसके लिए उनको प्रतिदिन चालीस रुपये की तनख्वाह भी मिलती थी, इन दोनों ने इतने सालों में लाखों रुपये ईमानदारी से कमा कर अपने परिवार को दिए।
रिहाई के मापदंड
सज़ा माफ़ी के मापदंड में उन कैदियों को शामिल किया जाता हैं, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई हो और सजा के रूप में वो चौदह साल या उससे अधिक समय जेल में काट लिया हो। सजा में दौरान इन कैदियों का अन्य कैदियों के प्रति व्यवहार कुशल होना साथ ही जेल कर्मियों के प्रति आचरण ठीक होना चाहिए।
योगी सरकार को दिया धन्यवाद
शेषनाथ ने योगी सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि मैं योगी सरकार का नमन करता हूँ, जो हमारे बारे में सोचा,मैं योगी सरकार का आजीवन आभारी रहूंगा। इसके साथ ही गोरखपुर जेल प्रशासन जेलर प्रेम सागर शुक्ला का आभार व्यक्त करता हूँ जो हमे बंदी ना समझ एक परिवार की तरह सहयोग किये।