नए साल पर दोस्तों के साथ घूमने बेस्ट है लखनऊ के ये टूरिस्ट स्पॉट, कब बजट में मिलेगा ज्यादा का मजा
कम बजट में नए साल पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो लखनऊ बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। यहां एक से बढ़कर एक टूरिस्ट स्पॉट हैं। जहां आप दोस्त, गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड या फैमिली के साथ जा सकते हैं।
नए साल पर दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो लखनऊ बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। ये शहर अपने आप में ही बेहद खास है। लहजे और खाने से सबको दीवाना बनाने वाले इस शहर में एक से बढ़कर टूरिस्ट स्पॉट हैं। यहां के प्राचीन इमारतें, मंदिर और खूबसूरत पार्क आपको मंग्नमुग्ध कर देगी। खास बात यह है कि आप यहां कम बजट में ज्यादा घूम सकते हैं।
लोहिया पार्क
76 एकड़ में फैले यह पार्क बेहद खास है। यहां जॉगिंग ट्रैक से लेकर एक्साइज करने वाली जगह मिल जाएंगी। बच्चों के लिए झूले लगे हैं। गोमती नगर के विपिन खंड में स्थित यह पार्क कपल के लिए स्पेशल है। यहां उनके पार्टनर के साथ समय व्यतीत करने के लिए बहुत से स्पॉट हैं।
जनेश्वर मिश्रा पार्क
लखनऊ के बेहतरीन पार्कों में से एक जनेश्वर मिश्र पार्क भी है। ऐसा कहा जाता है कि ये एशिया के बड़े पार्कों में से एक है। यहां ओपेन जिम के अलावा साइकिल ट्रैक भी है। इसके अलावा यहां पर्यटक बोटिंग, ओपन साउंड, फाउंटेन समेत अन्य का मजा ले सकते हैं।
इमामबाड़ा
लखनऊ घूमने आने वालों को इमामबाड़ा जरूर जाना चाहिए। इसे 1784 में अवध के नवाब आसफदुद्दौला ने बनवाया था। इसके बनवाने के प्रमुख कारण लोगों को रोजगार देना था। दरअसल तब प्रदेश में अकाल पड़ गया था। जिससे लोगों के पास न खाने को अन्न था और न ही पहनने के लिए कपड़ा। इस इमारत को 20 हजार मजदूरों ने मिलकर 11 साल में बनाया। मुगल, राजपूत और यूरोपियन का मिश्रण यह इमारत बेहद ही खास है। इसका हॉल का गुबंद 50 मीटर लंब और 15 मीटर ऊंचा है। इमारत की खूबसूरती इसके बड़े-बड़े झरोखे हैं। दरअसल इसे कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे अंदर बैठा इंसान बाहर वाले को देख सकता है लेकिन बाहर वाला भीतर वाले को नहीं देख सकता है।
ब्रिटिश रेजींडेसी
लखनऊ में घूमने के लिए ब्रिटिश रेजीडेंसी भी बेस्ट ऑप्शन है। यह ऐतिहासिक स्थल 1857 की क्रांति की याद दिलाता है। पहली स्वतंत्रता आंदोलन के समय ये प्रमुख स्थल हुआ करता था। अब यहां म्यूजियम है। जहां आंदोलन से जुड़ी तमाम वस्तुएं देखने को मिलती है।
भूलभुलैया
बड़े इमामबाड़े के भीतर ही भूलभुलैया है। इसके दीवारों को उड़द दाल, गुड़, गन्ने के रस और सिंघाड़े के आटे को मिलाकर बनाय गया। इस इमारत के भीतर एक जैसी दिखने वाली गलियां पर्यटकों को भ्रम में डाल देती हैं। इसके अलावा इसके दीवारों के भी कान हैं। अगर कोई 163 फीट की दूरी से माचिस की तीली जलाता है तो इसकी आवाज बालकनी मे खड़े शख्स को भी सुनाई दे जाती है।