माघ मेले में इस्लामिक साहित्य बांटने वाले भेजे गए जेल, विदेशी फंडिग की निकाली जाएगी डिटेल
माघ मेले में इस्लामिक साहित्य बांटने के आरोप में प्रयागराज पुलिस ने बुधवार को मदरसे के शिक्षक महमूद हसन गाजी और हिन्दू से मुस्लिम बने मो. मोनिश और समीर को जेल भेज दिया है।
माघ मेले में इस्लामिक साहित्य बांटने के आरोप में प्रयागराज पुलिस ने बुधवार को मदरसे के शिक्षक महमूद हसन गाजी और हिन्दू से मुस्लिम बने मो. मोनिश और समीर को जेल भेज दिया। तीनों के खिलाफ माघ मेला में धार्मिक उन्माद फैलाने, धर्म परिवर्तन कराने की धारा समेत अन्य आरोपियों में पुलिस ने कार्रवाई की है। इनके खिलाफ साक्ष्य एकत्र करने के लिए पुलिस जल्द ही तीनों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। विदेशी फंडिंग समेत कई सवालों के जवाब मिलना बाकी है।
डीसीपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि माघ मेला में इस्लामिक साहित्य और आपत्तिजनक पुस्तकें ठेले पर बेचवाने के आरोप में करेली के शिक्षक महमूद हसन गाजी और हनुमानगंज के मो. मोनिश उर्फ आशीष गुप्ता और कौशांबी के समीर उर्फ नरेश सरोज को गिरफ्तार किया गया था। इनके पास दो सौ से अधिक आपत्तिजनक धार्मिक पुस्तकें बरामद हुई थी। मंगलवार रात से बुधवार दोपहर तक तीनों से गहन पूछताछ होती रही। पुलिस के अलावा खुफिया एजेंसियों की टीमों ने अपने अनुसार पूछताछ की। मदरसे के शिक्षक से विदेश यात्रा की जानकारी ली गई। उनसे पूछा गया कि कब पासपोर्ट बना और विदेश वह किसके साथ गया था। वहां पर किसके संपर्क में था।
इसके अलावा अन्य दोनों आरोपियों से पुलिस हिंदू से मुस्लिम बनने के सफर के बारे में पूछताछ की। पुलिस ने मो. मोनिश से पूछा कि वह कहां-कहां का घूमा है। आजमगढ़ में एक साल तक मदरसे में पढ़ाई के दौरान किन-किन लोगों से मिला। मोनिश स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन से कब जुड़ा था। उसके साथ काम करने वाले लोगों की दिनचर्या क्या थी। ऐसे कितने लोग और हैं जिन्हें हिंदू से मुस्लिम बनाया गया है। इन तथ्यों के बारे में जानकारी लेकर गोपनीय तरीके से पुलिस की टीम काम कर ही है। इस प्रकरण में एडीसीपी क्राइम का कहना है कि पूछताछ में मिले जानकारियों का सत्यापन किया जा रहा है।
विदेश से वॉलेट के जरिये भेजे गए थे रुपये, चल रही पड़ताल
आपत्तिजनक साहित्य प्रिंट कराने और धर्म परिवर्तन के लिए विदेशों से फंडिंग करने वाले बैंक खातों में रुपये नहीं भेजते थे, बल्कि लेनदेन वॉलेट से होता था। इस खेल में भी क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसलिए पकड़े गए लोगों के मौजूदा बैंक स्टेटमेंट से फिलहाल लेनदेन की जानकारी नहीं मिल सकी है।
एडीसीपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि मदरसे के शिक्षक महमूद हसन गाजी के दोनों बैंक खातों की विस्तृत जानकारी की जा रही है। बैंक से पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। खुफिया एजेंसियां उसके मोबाइल की छानबीन कर रही हैं। शाहगंज के पत्थर गली में रहने वाले कासिम के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। उसी पर आरोप है कि वह शिक्षक को आबूधाबी से फंडिंग कर रहा था। कासिम के अलावा एक अन्य व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली है जो विदेश से रुपये भेजता था। वह शिक्षक महमूद हसन का रिश्तेदार है। खाड़ी देशों में वह टैक्सी संचालित करता है। काफी सालों से वे प्रयागराज नहीं आया है। लेकिन उनका यहीं पर पुश्तैनी मकान है। पुलिस संदिग्ध कासिम के भाइयों से भी पूछताछ कर जानकारी जुटा रही है। उसके खिलाफ साक्ष्य मिलने पर पुलिस कासिम को भी आरोपी बना सकती है।
ग्रामीणों ने कहा फूफा के कदम पर चला आशीष बन गया मुस्लिम
हिन्दू से मुस्लिम बनकर धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोपी आशीष गुप्ता का परिवार कई सालों से महाराष्ट्र में रह रहा है। हनुमानगंज के सुदनीपुर गांव में आशीष गुप्ता की मां शकुंतला देवी के नाम राशन कार्ड बना है। इस राशन कार्ड में पति शिवकुमार, बेटी स्नेहा, बेटा आशीष एवं बेटी खुशी के नाम दर्ज हैं। कोटेदार गणेश दुबे ने बताया कि पिछले दो महीने से राशन नहीं लिया है। इसके पहले कभी शिवकुमार तो कभी आशीष गुप्ता के परिजन कोटे से राशन ले जाते थे। गांव में आशीष का आना-जाना था। वह महीने में दो-चार दिनों के लिए गांव आता था। बात करने पर वह गांव वालों से बताता था कि वह बुक डिपो में काम करता है, जिसकी वजह से उसे कई शहरों में जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि आशीष के फूफा के धर्म परिवर्तन की खबर थी लेकिन आशीष के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। गांव में उसके रहन सहन और हरकतों से ऐसा नहीं लगा कि वह धर्म परिवर्तन कर लिया है। लोगों ने कहा कि आशीष अपने फूफा के कदम पर चलकर मुस्लिम बन गया।