अभी टला नहीं है कोरोना का खतरा, जानिए कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर क्या बोले पीजीआई के निदेशक
पीजीआई लखनऊ के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने कहा है कि कोरोना का बड़ा खतरा तब तक बना रहेगा, जब तक 90 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लग जाती है। वैक्सीन बहुत अहम है। कोरोना से यही सुरक्षा का एक...
पीजीआई लखनऊ के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने कहा है कि कोरोना का बड़ा खतरा तब तक बना रहेगा, जब तक 90 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लग जाती है। वैक्सीन बहुत अहम है। कोरोना से यही सुरक्षा का एक बड़ा साधन है। वह जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया के कानपुर ब्रांच के संयोजन में आयोजित 38 वें वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज में भारत दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा में है। इलाज के लिए की जा रही कोशिशें विश्वस्तरीय हैं।
उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छा है कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। इससे डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी। आम आदमी तक इलाज की बेहतर पहुंच होगी। क्वालिटी इलाज में भी प्रतिस्पर्धा होगी। प्रो. नवनीत कुमार ने मिर्गी के नए इलाज मैनेजमेंट और दवाओं के प्रयोग के नए तरीके पर चर्चा की। आयोजन सचिव प्रो.रिचा गिरि ने प्राचार्य प्रो. संजय काला समेत अतिथियों का स्वागत किया। यूपी एपीआई के सचिव डॉ. संजय टंडन, अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र आतम समेत 500 से अधिक विशेषज्ञों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया। सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो.विनय पाठक विशिष्ट अतिथि थे। 45 एमडी छात्रों ने अपने शोध पत्र पेश किए।
मिर्गी के इलाज में आठ घंटे नींद जरूरी: प्रो. नवनीत कुमार
न्यूरोलॉजिस्ट और कन्नौज मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. नवनीत कुमार ने कहा कि मिर्गी के इलाज में कई नई चीजें जोड़ी गई हैं। दवाओं का नए तरह से प्रयोग शुरू किया गया है। मरीजों को आठ घंटे की नींद जरूरी है। उन्होंने लेकोसामाइड, ब्रेयोरेसिटम, कैनाबिडीलाल, रूफीनामाइड, गार्डनल एप्टोइन, सोडियम वल्पोरेट के इस्तेमाल के तौर तरीके पर विशेषज्ञों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में एंटी एपेलिप्टिक ड्रग की जगह एंटी सीजर ड्रग के नाम से दवाओं का चलन होगा। मरीज को सम्मान की नजर में पेशेंट विद एपेलिप्सी कहा जाएगा।
कई अंगों पर प्रभाव डाल रहा सामान्य वायरल फीवर
एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया की कार्यशाला में पूर्व मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि इस बार वायरल संक्रमण शरीर के कई अंगों पर असर डाल रहा है। वैसे सामान्य वायरल की यह प्रकृति है मगर इस बार अधिक मामलों में कई अंग प्रभावित मिल रहे हैं। प्रो. संतोष कुमार ने एक्यूट फाइब्राइल इलनेस पर कहा कि गनीमत है कि लैप्टोस्पाइरोसिस, स्क्रब टाइफ और मलेरिया नहीं मिल रहा है। वायरल संक्रमण, डेंगू और टाइफाइड मिल रहा। इसका इलाज है मगर लोग विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज कराएं। झोलाछाप केस बिगाड़ कर भेज रहे हैं।