कभी भी बंद हो सकते हैं DDU के ये 5 संकाय, नई कुलपति ने दिए संकेत; जानें वजह
डीडीयू में पिछले वर्ष से कागज में दौड़ रहे पांच संकाय बंद किए जा सकते हैं। ये सभी संकाय कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अनुमति के बिना पूर्व कुलपति प्रो. राजेश सिंह द्वारा संचालित किया जा रहा था।
Gorakhpur University News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विद्यालय में पिछले वर्ष से कागज में दौड़ रहे पांच संकाय बंद किए जा सकते हैं। ये सभी संकाय कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अनुमति के बिना पूर्व कुलपति प्रो. राजेश सिंह द्वारा संचालित किया जा रहा था। डीडीयू में नैक मूल्याकन से पहले संकाय की संख्या आठ से बढ़ाकर 13 कर दिया गया था। नवागत कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने विधि विरुद्ध चल रहे इन संकायों के संचालन पर रोक लगाने का संकेत सोमवार को अधिष्ठाता और विभागाध्यक्षों की बैठक में दिया था।
विश्वविद्यालय में परंपरागत संकाय कला, वाणिज्य, विज्ञान, विधि व शिक्षा के अलावा तीन अन्य संकाय कृषि, चिकित्सा और इंजीनियरिंग संचालित हो रहे हैं। पूर्व कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने नैक मूल्यांकन से पहले संकाय, विद्या परिषद एवं कार्य परिषद से पांच और संकाय को पास करा लिया।
इन संकाय की स्वीकृति मिलने के लिए कुलाधिपति के पास भेजा गया। राजभवन से अनुमति मिलने से पहले ही इन संकायों का संचालन कागज में शुरू कर दिया गया। बाकायदा उनके अधिष्ठाता की भी तैनाती कर दी गई। इस बीच संकाय के संचालन के अनुमोदन देने के बजाय उसके औचित्य के संदर्भ में जवाब मांगा गया। इसके बाद भी संकाय का संचालन होता रहा।
कार्यभार संभालने के बाद कुलपति प्रो. पूनम टंडन को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने नियम, अधिनियम एवं परिनियम के विरुद्ध चल रहे संकाय को स्थगित करने का सोमवार को ही संकेत दिया। उन्होंने साफ कहा है कि सभी निर्णय विश्वविद्यालय की संस्थाओं- बोर्ड ऑफ स्टडीज, विद्या परिषद, वित्त समिति, परीक्षा समिति, कार्य परिषद द्वारा ही लिया जाएगा।
विधि संकाय का नाम बदलने का भी था प्रस्ताव
विधि संकाय का भी नाम बदलने की तैयारी थी। विधि संकाय का नाम बदलकर उसे कानूनी अध्ययन संकाय कर दिया गया था। इसे भी अनुमोदन के लिए कुलाधिपति के पास भेजा गया था।
कुलपति ने कहा
डीडीयू की कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने कहा कि बहुत पहले नए संकाय खोलने के सम्बंध में कुलाधिपति को अप्रूवल के लिए भेजा गया है लेकिन अभी तक अप्रूवल नहीं मिला है। बिना कुलाधिपति की अनुमति के नए संकाय नहीं खुल सकते। इस परस्थिति में नियम, अधिनियम और परिनियम के अनुसार जो उचित होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।