Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़The Commission reply to the questions raised by Anupriya Patel on OBC appointments the allegations are baseless

OBC नियुक्तियों पर अनुप्रिया पटेल के उठाए सवाल पर आयोग का जवाब, आरोपों में दम नहीं 

OBC नियुक्तियों पर अनुप्रिया पटेल के उठाए सवाल पर आायोग का जवाब दिया है। विभिन्न भर्ती बोर्डों से जुड़े अधिकारियों ने कहा है कि अनुप्रिया के आरोपों में दम नहीं हैं।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 29 June 2024 12:52 PM
share Share

अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरक्षित पदों को अनारक्षित घोषित किए जाने की व्यवस्था पर रोक लगाने की कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया है। इसके उलट विभिन्न भर्ती बोर्डों से जुड़े अधिकारियों ने कहा है कि अनुप्रिया के आरोपों में दम नहीं हैं। यदि किसी श्रेणी में अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक हासिल नहीं कर पाते तो ऐसी रिक्तियों को आयोग स्तर पर किसी अन्य श्रेणी में करने का अधिकारी नहीं है। यह रिक्तियां शासनादेश के आधार पर आगे बढ़ाई जाती हैं।

गुरुवार को मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में अनुप्रिया ने अनुरोध किया है कि सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित पदों को सिर्फ इस वर्ग के अभ्यर्थियों से ही भरा जाए। इन पदों को भरने के लिए जितनी भी बार नियुक्ति प्रक्रिया करनी पड़े की जानी अनिवार्य की जाए। साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी व एससीएसी के लिए आरक्षित पदों पर प्राय: ‘नाट फाउंड शुटेबल’ घोषित कर इन वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया जाता है। 

इसके उलट विभिन्न भर्ती बोर्डों के उच्चपदस्थ अधिकारियों के मुताबिक यूपी में साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित होती है। साक्षात्कार लेने वाले लोगों (साक्षात्कार परिषद) को अभ्यर्थी का क्रमांक, नाम, जाति (श्रेणी), आयु की जानकारी नहीं दी जाती है। इन समस्त जानकारियों को ढककर सेलोटेप से चिपकाया जाता है। साक्षात्कार के माध्यम से चयन के लिए साक्षात्कार परिषद द्विसदस्यीय होता है। प्रथम सत्र और द्वितीय सत्र में अलग-अलग साक्षात्कार परिषदें होती हैं। इतना ही नहीं साक्षात्कार परिषद द्वारा नाट शुटेबल अंकित नहीं किया जाता है, ग्रेडिंग अंकित की जाती है। आयोग को रिक्तियों की श्रेणी बदलने का कोई अधिकारी नहीं है। न ऐसा किया जाता है। ग्रेडिंग को औसत के सिद्धांत के आधार पर अंक में बदल कर मार्कशीट में अंकित किया जाता है। जिस पर सदस्य एवं प्राविधिक परामर्शदाताओं द्वारा हस्ताक्षर किया जाता है। साथ ही सामने ही मार्कशीट का लिफाफा सील कराया जाता है। 
 

अगला लेखऐप पर पढ़ें