बच्ची से रेप कर हत्या करने वाले आरोपी को फांसी की सजा, एक लाख का जुर्माना भी
राजधानी लखनऊ में बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुराचार करने के बाद हत्या करने के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है। साथ-साथ एक लाख 20 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
लखनऊ में 10 साल की बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुराचार करने के बाद हत्या करने के आरोपी केदारनाथ राठौर को पोक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश श्याम मोहन जायसवाल ने मृत्यु दंड की सजा के साथ-साथ एक लाख 20 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी उस बच्ची को स्कूल ले जाता था। आरोपी ने बच्ची के माता-पिता के साथ अन्य अभिभावकों का विश्वास भी तोड़ा है। घटना के समय आरोपी की उम्र 59 वर्ष थी।
अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शशि पाठक ने अदालत को बताया कि इसमें रिपोर्ट 17 मार्च 2016 को अलीगंज थाने में बच्ची की मां ने दर्ज करायी थी। उन्होंने कहा था कि उनकी बच्ची 16 मार्च की रात 10 बजे बाहर निकली थी। उसका कुछ पता नहीं चल रहा है। इसी दिन उसे पता चला कि छन्नीलाल चौराहे के पास सीवर लाइन के पाइप में उसकी बच्ची की लाश पड़ी है। जांच में पता चला कि बच्ची के साथ दुराचार भी किया गया है। इस पर उसने दूसरी तहरीर पुलिस को दी। इस पर दुराचार कर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ।
सीसी फुटेज में आरोपी दिखा
अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपी केदारनाथ जब बच्ची को साथ ले जा रहा था तो वह कई फुटेज में कैद हो गया था। साथ ही मजदूर रितेश व प्रशांत ने भी इसकी पुष्टि की। सरकारी वकीलों ने अदालत को बताया कि सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य यह था कि मृतका के मुंह में ग्रे कलर का कपड़ा ठूंसा हुआ था इसका शेष कपड़ा आरोपी के घर बरामद हुआ था।
विरल से विरलतम अपराध माना कोर्ट ने
अदालत ने आरोपी केदारनाथ के अपराध को विरल से विरलतम श्रेणी का पाते हुए कहा है कि एक मासूम बच्ची के साथ क्रूरता से दुराचार करने के बाद उसकी हत्या की गई है। इसके लिए उसे मृत्युदंड से कम की सजा दिया जाना उचित नहीं है।
आरोपी ने अभिभावकों को विश्वास तोड़ा
सजा के प्रश्न सुनवाई के समय सरकारी वकीलों का कहना था कि आरोपी ने 10 साल की मासूम बच्ची के साथ उसकी मासूमियत का फायदा उठाते हुए निर्दयता व क्रूरता पूर्वक दुराचार कर उसकी हत्या कर दी। अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपी बच्चों को स्कूल ले जाने व लाने का काम करता था। वह मोहल्ले के बच्चों को टॉफी देने के बहाने उन्हें गलत तरीके से स्पर्श भी करता था। इस प्रकार अभियुक्त ने न केवल पीड़िता के विश्वास को तोड़ा बल्कि उन अभिभावकों के भी विश्वास को तोड़ा जिनके बच्चों को वह स्कूल ले जाता था। अभियोजन की ओर से मांग की गई कि आरोपी ने जिस तरह से अपराध को अंजाम दिया है, वह किसी भी तरह सहानुभूति के योग्य नहीं है। आरोपी के खिलाफ सरकारी वकीलों ने प्रभावी पैरवी की। वहीं अलीगंज इंस्पेक्टर नागेश उपाध्याय की टीम ने वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पैरवी की जो सजा दिलाने में सहायक बने।
अदालत ने आरोपी को समाज का खतरा बताया
अदालत ने अपने 46 पन्नों के निर्णय में कहा है कि प्राचीन काल से यह माना जाता है कि 59 वर्ष की आयु होने के पश्चात मनुष्य में बैराग्य एवं संन्यास का भाव उत्पन्न होना आरंभ हो जाता है। इसके विपरीत अभियुक्त केदार राठौर के मन में 10 साल की बच्ची के प्रति यौन कुंठा का जन्म लेना तथा उसकी पूर्ति इस वीभत्स व वहशीपन तरीके से करना इस तथ्य का प्रमाण है कि वह किसी भी आयु को प्राप्त कर लेने पर भी समाज के लिए खतरा बना रहेगा। उसमें सुधार की संभावनाएं नगण्य हैं।
तब तक लटकाया जाए जब तक मौत न हो जाए
अदालत ने कहा है कि अभियुक्त की गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि मृत्यु दंड के आदेश का निष्पादन उच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि किए जाने के निर्णय के अधीन रहेगा। लिहाजा अभियुक्त को दिए गए मृत्यु दंड का निष्पादन उच्च न्यायालय द्वारा लिए जाने वाले निर्णय तक के लिए स्थगित किया जाता है।
कब क्या हुआ
16 मार्च 2016-बच्ची रात 10 बजे गायब हुई
17 मार्च 2016-अलीगंज थाने में एफआईआर दर्ज
18 मार्च 2016-आरोपी गिरफ्तार
14 जून 2016-चार्जशीट कोर्ट में दाखिल
05 मार्च 2019-आरोप तय
27 जुलाई 2023-आरोपी का बयान धारा 313 के तहत दर्ज
04 अक्टूबर 2023-हत्या व दुराचार का दोष सिद्ध किया गया