भगोड़ा घोषित होते ही कोर्ट पहुंचीं स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा मौर्य, शर्तों के साथ अंतरिम जमानत
स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी पूर्व सांसद संघमित्रा मौर्य भगोड़ा घोषित होते ही जमानत के लिए एमपीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने फिलहाल 12 अगस्त तक संघणित्रा को अंतरिम जमानत दे दी है।
स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी पूर्व सांसद संघमित्रा मौर्य भगोड़ा घोषित होते ही जमानत के लिए एमपीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया। जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए एमपी/एमएलए कोर्ट के स्पेशल एसीजेएम आलोक वर्मा ने आगामी 12 अगस्त तक के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया। संघमित्रा पर शादीशुदा होने के बावजूद धोखा देकर दूसरी शादी करने का आरोप है। इस मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ तीन अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। सभी के खिलाफ अदालत ने कई वारंट जारी किया था लेकिन पेश नहीं हो रहे थे। इसके बाद एमपीएमएलए कोर्ट के स्पेशल एसीजेएम आलोक वर्मा ने सख्त कदम उठाते हुए 19 अगस्त को सभी को भगोड़ा घोषित कर दिया था। इसके बाद कुर्की की कार्यवाही की भी तैयारी हो रही थी।
संघमित्रा मौर्य विशेष अदालत के समक्ष दोपहर एक बजे समर्पण किया था। विशेष अदालत ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लेने के बाद उनके अधिवक्ता अरविंद कुशवाहा की जमानत अर्जी को सुना। अधिवक्ता अरविंद कुशवाहा ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि उसे झूठा फंसाया गया है। उस पर लगाए गए आरोप रंजिशन एवं अवैध धन उगाही के लिए लगाए गए हैं। यह भी कहा गया गया कि महिला होने के कारण उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
स्पेशल एसीजेएम आलोक वर्मा ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्ता के खिलाफ पांच जुलाई को धारा 82 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत आदेश जारी किए गए थे। चूंकि मामला सुनवाई के लिए 27 अगस्त के लिए नियत है, जिसके कारण इस परिवाद के परिवादी को भी सुनवाई का मौका दिया जाना आवश्यक है। अदालत ने कहा है कि आवेदिका को तुरंत जमानत दिया जाना उचित नहीं होगा। लिहाजा उसे 12 अगस्त तक के लिए इस शर्त पर अंतरिम जमानत पर छोड़ा जाता है कि वह 50 हजार रुपए का मुचलका एवं इसी धनराशि की दो जमानतें दाखिल करें। साथ ही 12 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर आत्मसमर्पण करें।
क्या है आरोप
अदालत में दाखिल किए गए परिवाद दीपक कुमार और संघमित्रा 2016 से साथ रह रहे थे। कहा गया कि संघमित्रा और उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया था कि संघमित्रा की पूर्व शादी से तलाक़ हो गया है। इस पर तीन जनवरी 2019 को संघमित्रा से उसके घर पर परिवादी ने शादी कर ली।
संघमित्रा ने 2019 के चुनाव में शपथपत्र देकर खुद को अविवाहित बताया। इसके बाद वादी को पता चला कि संघमित्रा का मई 2021 में तलाक हुआ था। आगे कहा गया कि जब वादी ने वर्ष 2021 में विधि विधान से विवाह करने के लिए कहा तो आरोपी स्वामी प्रसाद मौर्य ने वादी के ऊपर कई बार विभिन्न स्थानों पर अन्य आरोपितों से जानलेवा हमला कराया। इस मामले में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।