Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Step by step game revealed in giving land of forest department to Jaypee group

जेपी ग्रुप को वन विभाग की जमीन देने में कदम दर कदम हुआ खेल

जेपी ग्रुप को 1083 हेक्टेयर वन विभाग की जमीन देने में तत्कालीन बसपा सरकार में कदम दर कदम खेल हुआ। वन विभाग के अफसरों ने अपने हिसाब से नियमों को तोड़ा और मरोड़ा। जेपी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए...

gunateet हिन्दुस्तान टीम, लखनऊMon, 2 Dec 2019 06:23 PM
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जेपी ग्रुप को 1083 हेक्टेयर वन विभाग की जमीन देने में तत्कालीन बसपा सरकार में कदम दर कदम खेल हुआ। वन विभाग के अफसरों ने अपने हिसाब से नियमों को तोड़ा और मरोड़ा। जेपी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन को धारा चार से अलग कर दिया गया। अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की रिपोर्ट में यह बात उभर कर सामने आई है। माना जा रहा है कि तत्कालीन प्रमुख सचिव वन समेत कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

खेल की शुरुआत कहां और कैसे

जेपी ग्रुप को जमीन देने का पूरा खेल समझाने के लिए डाला-चुर्क सीमेंट की स्थापना से शुरू करते हैं। इसकी स्थापना वर्ष 1954 में हुई। बाद में इसे 1972 में उत्तर प्रदेश सीमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड ने ले लिया। यूपीसीसीएल भी जब इसे चला न पाई तो यह वर्ष 1995 में बंद हो गई। इसके आसपास की जमीन वन विभाग की है। यह जमीन वर्ष 2005 में जेपी ग्रुप को दी गई। वन विभाग ने इस जमीन को जेपी को देने का विरोध तक नहीं किया।

जमीन देने का कैसे हुआ खेल

वन विभाग की जमीन नियमत: हरित क्षेत्र की मानी जाती है और इसे किसी को दिया नहीं जा सकता है। इस जमीन को देने के लिए केंद्र सरकार को अनुमति लेनी होती है और इतनी ही जमीन पर पौधारोपण कराना होता है। वन विभाग के अधिकारियों ने इससे बचने के लिए बीच का रास्ता अपना। इस जमीन को धारा चार से पृथक यानी अलग दिखा दिया गया। जिससे इस जमीन को गैर हरित क्षेत्र की मान लिया गया। इसके चलते न तो केंद्र सरकार से इस जमीन को देने के लिए अनुमति नहीं लेनी पड़ी और न ही पौधारोपण की अनिवार्यता रही।

वन विभाग के अफसरों पर गाज गिरेगी

अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की रिपोर्ट पर जल्द ही वन विभाग के कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। जेपी ग्रुप को दी गई जमीन की कुल कीमत करीब 409 करोड़ रुपये बताई गई है। जेपी ग्रुप को जमीन देने का यह सारा खेल तत्कालीन बसपा सरकार में खेल गया। रिपोर्ट में इसमें उस समय के प्रमुख सचिव वन पर भी उंगलियां उठाई गई हैं। इसके अलावा वन विभाग के कई अधिकारियों पर मिलीभगत का इशारा किया गया है। इससे यह माना जा रहा है कि जल्द ही वन विभाग के कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

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