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यूपी में 5 साल में 2433 करोड़ की टैक्‍स चोरी का भंडाफोड़, कागजों पर ही कर डाला अरबों का कारोबार

यूपी में पिछले 5 साल में 2433 करोड़ की टैक्‍स चोरी हो गई। स्‍टेट जीएसटी की विशेष विंग ने इसका भंडाफोड़ किया है। प्रदेश में सबसे ज्‍यादा टैक्‍स चोरी कोरोना की पहली लहर के ठीक पहले हो रही थी।

Ajay Singh प्रमुख संवाददाता, कानपुरWed, 4 May 2022 05:44 AM
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जीएसटी लागू होने के बाद स्टेट जीएसटी की विशेष विंग ने पांच साल में 2433 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का भंडाफोड़ किया है। सबसे ज्यादा टैक्स चोरी कोरोना की पहली लहर से ठीक पहले हो रही थी। कोविड का असर घटने के साथ ही टैक्स चोरी भी घट गई।

उत्‍तर प्रदेश में जीएसटी एक जुलाई 2017 को लागू हुआ था। स्टेट जीएसटी कमिश्नर मिनिस्टी एसके मुताबिक विशेष जांच विंग (एसआईबी) ने तब से इस वर्ष मार्च तक 1539 फर्में पकड़ी हैं। ये सभी फर्में अस्तित्वहीन हैं और बिना आपूर्ति के ही कागजों पर अरबों का कारोबार कर डाला। इतना ही नहीं सरकार को एक पैसा टैक्स दिए बिना ही इन फर्मों ने सरकारी खजाने से इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में अरबों रुपये ले लिए।

छोटी टैक्स चोरी दोगुनी हो गई
कोरोना ने टैक्स चोरी के तरीके पर भी असर डाला है। प्री कोविड काल 2019-20 में 268 फर्मों ने 851 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की थी। पोस्ट कोविड काल 2021-22 में फर्मों की संख्या तो बढ़कर 459 हो गई लेकिन टैक्स चोरी 469 करोड़ रुपये की पकड़ी गई। यानी कर अपवंचना की रकम घटकर करीब आधी रह गई। साफ है कि छोटी टैक्स चोरी ने रफ्तार पकड़ी और बड़े टैक्स चोरों की हालत कारोबार ने खराब कर दी। एसजीएसटी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से पहले तीन साल चोरी की रकम दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही थी। कोरोना के बाद इसका ग्राफ नीचे की ओर जाने लगा।

इनफोर्समेंट अलर्ट सिस्टम से जांच
बोगस फर्मों और उनसे जुड़े कारोबारियों की जांच के लिए स्टेट जीएसटी ने मॉड्यूल तैयार किया है, जिसका नाम है-इनफोर्समेंट अलर्ट सिस्टम मॉड्यूल। इस सिस्टम में पिछले पांच साल में टैक्स चोरी में लिप्त एक-एक फर्म और कारोबारी का विवरण दर्ज किया जा रहा है। इसी की जांच में कमिश्नर ने पाया कि 30 फीसदी से ज्यादा जानकारियों में खानापूरी की गई है। स्टेट जीएसटी ने टैक्स चोरी की रिपोर्ट में ढिलाई बरतने पर अफसरों को चेतावनी दी है।

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