रायफल-पिस्टल बेचता था सपा विधायक का साला, उलझती जा रही नगालैंड में बने लाइसेंस ट्रांसफर होने की जांच
नगालैंड से फर्जी लाइसेंस बनवाकर उसे लखनऊ में स्थानान्तरित करने की जांच उलझती जा रही है। कलेक्ट्रेट के शस्त्र अनुभाग ने संदीप सिंह के नाम बने लाइसेंस से जुड़ी कई जानकारियां तो एसटीएफ को दी हैं।
Weapon Licence: नगालैंड से फर्जी लाइसेंस बनवाकर उसे लखनऊ में स्थानान्तरित करने की जांच उलझती जा रही है। एसटीएफ की सख्ती का असर कलेक्ट्रेट पर दिखाई पड़ा। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट के शस्त्र अनुभाग ने सपा विधायक अभय सिंह के साले संदीप सिंह के नाम बने लाइसेंस से जुड़ी कई जानकारियां तो एसटीएफ को दी हैं।
डीएम आफिस से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003 से वर्ष 2019 के बीच संदीप ने अपने रायफल और पिस्टल लाइसेंस पर कई बार असलहे खरीदे व बेचे। कानपुर से भी पिस्टल खरीदी गई। ऐसी कई जानकारियां दी गई है जिनकी पड़ताल एसटीएफ कर रही है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी लाल प्रताप सिंह इस प्रकरण की जांच कर रहे हैं। शुक्रवार को उनकी टीम के इंस्पेक्टर आदित्य कुमार सिंह कलेक्ट्रेट तीसरी बार पहुंचे। इस बारे में उन्हें पहले की अपेक्षा ज्यादा सहयोग मिला। यहां उन्हें जो फाइल दी गई, उसके मुताबिक अयोध्या से बने पिस्टल के लाइसेंस चार दिसम्बर, 2018 को सुदर्शन आर्म्स कानपुर से पिस्टल ली गई। यहीं से संदीप ने रायफल भी 24 जुलाई 2004 को खरीदी थी। नगालैंड से बने लाइसेंस पर नंदा गन हाउस से 18 फरवरी, 2019 को नई रायफल ली जो मेड इन इंग्लैंड थी। इसी तरह पुरानी रायफल अधिकारी गन हाउस में संदीप ने एक मई, 2003 को बेची।
मुख्तार के पते 107-बी फ्लैट का दस्तावेज नहीं
डीएम आफिस में अभी वह दस्तावेज नहीं मिला है जिसमें यह शपथ पत्र लगा हुआ है कि संदीप वर्ष 2004 में विधायक रहते हुये मुख्तार अंसारी को दारुशलफा में आवंटित फ्लैट-107-बी पर रहता था। एसटीएफ और एसीपी हजरतगंज अरविन्द कुमार यह जानना चाहते हैं कि आखिर शपथ पत्र में इस बात को साबित करने के लिये संदीप ने कौन सा दस्तावेज लगाया है। इस सम्बन्ध में न तो हजरतगंज कोतवाली और न ही कलेक्ट्रेट के शस्त्रत्त् अनुभाग में कोई दस्तावेज अभी मिल पाया है।
मुख्तार गिरोह के जारी हुए अयोध्या से भी लाइसेंस
मुख्तार गिरोह के शस्त्रत्त् लाइसेंस से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई। कलेक्ट्रेट के रिकॉर्ड रूम में फाइल खंगाली गई तो पता चला कि अयोध्या से भी एक लाइसेंस बना है। यह भी नगालैंड से ट्रांसफर दिखा कर अयोध्या में दर्ज कर लिया गया। अब तक की पड़ताल से इतना तय है कि पूर्व में तैनात रहे डीएम से लेकर सीओ और थानेदार तक की जवाबदेही तय होगी। अयोध्या से लाइसेंस 2017 में जारी किया गया था। वहीं, लखनऊ से जुड़ी फाइल अभी तक नहीं मिली है। फिलहाल मौखिक तौर पर अधिकारियों ने एसटीएफ से कहा है कि रिपोर्ट पुलिस ही देती है। उसके आधार पर ही असलहे का लाइसेंस जारी किया जाता है। एफटीएफ के अनुसार मुख्तार गैंग ने 2004 में 14 शस्त्रत्त् लाइसेंस नगालैंड से लखनऊ दर्ज कराए थे।
एनओसी और पुलिस रिपोर्ट ढूंढ़ रहे कर्मचारी
कलेक्ट्रेट में इस मामले से जुड़ी फाइलें ढूंढ़ने के लिए पूर्व में तैनात रहे लिपिकों की भी मदद ली जा रही है। महत्वपूर्ण मुद्दा नगालैंड से आई एनओसी और उससे जुड़ी लिखापढ़ी से संबंधित दस्तावेज हैं। प्रशासन के अफसरों ने बाबुओं से इन रिकॉर्ड को तलाशने को कहा है। साथ ही लाइसेंस संबंधित पुलिस रिपोर्ट भी ढूंढ़ी जा रही है।