बेटे ने मां को 30 साल बाद दिलाया इंसाफ, 12 साल की उम्र में हुआ था रेप; दोषी भाइयों को मिली सजा
बिन ब्याही मां ने बेटे को जन्म दिया लेकिन 17 साल तक उसका चेहरा तक नहीं देख पाई। बेटे की एक काल्पनिक तस्वीर आंखों में बसाए एक मां 17 साल तक रातों में सुबकती रही। यह राज वह किसी को बता नहीं सकती थी।
Son got justice for mother after 30 years: एक ऐसी मां, जिसने बेटे को जन्म दिया लेकिन 17 साल तक उसका चेहरा तक नहीं देख पाई। बेटे की एक काल्पनिक तस्वीर आंखों में बसाए एक मां 17 साल तक रातों में सुबकती रही। यह एक ऐसा राज था, जिसे वह किसी को बता नहीं सकती थी लेकिन एक दिन अचानक वही बेटा सामने आया, फिर एक ऐसे राज का खुलासा हुआ, जिसके बारे में चंद लोग ही जानते थे। दरअसल, महिला के साथ 12 साल की उम्र में पड़ोस में रहने वाले दो सगे भाइयों ने दुराचार किया था। एक-दो दिन नहीं बल्कि यह सिलसिला पूरे दो साल तक चला था। एक दिन वह 12 साल की लड़की गर्भवती हुई तो घर में हल्ला मच गया। 30 साल पहले हुई इस घटना के दोषी सगे भाइयों को शाहजहांपुर कोर्ट ने जब सजा सुनाई तो पीड़िता और उसके बेटे की आंखों में चमक दिखी। यह बेटा वही था, जो दुराचार करने वाले दो में से एक दोषी से जन्मा था। अब दुराचार के दोषी सगे भाइयों को जेल में 10 साल तक चक्की चलानी पड़ेगी। उन्हें सश्रम 10-10 साल का कारावास की सजा दी गई है। इस मुकदमे से कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं वाली कहावत चरितार्थ हुई है।
बात शुरू करते हैं 1994 से। शाहजहांपुर के मोहल्ला महमंद जलालनगर निवासी नकी अहमद उर्फ ब्लेडी और उसका भाई गुडडू बहुत ही गुंडागर्दी करते थे। इनके पड़ोस में ही एक दंपति रहते थे। इसमें पति सरकारी नौकरी करता था और पत्नी एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी। घर पर महिला की 12 साल की बहन रहती थी। दोनों जब अपनी नौकरी पर जाते थे तो 12 साल की लड़की घर पर अकेली रह जाती थी।
एक दिन नकी अहमद घर में घुसकर लड़की से दुराचार किया। इसके बाद नकी के भाई गुडडू ने भी उसी लड़की से दुराचार किया। यह सिलसिला दो साल तक चलता रहा। कई महीने के बाद जब उसका पेट बाहर आया तब दीदी और जीजा को कुछ शक हुआ। डाक्टर को दिखाया तो पता लगा कि लड़की चार-पांच माह की गर्भवती है। जीजा और दीदी नकी व गुडडू के घर गए, वहां उन्होंने शिकायत की लेकिन नकी और गुडडू ने उन्हें धमकाकर भगा दिया। इसके बाद लड़की को लेकर उसके जीजा और दीदी रामपुर चले गए। इसके बाद लड़की ने एक बेटे को जन्म दिया।
किशोरी से कहा, बच्चे को ट्रेन में रख दिया
कई दिन के बाद जब लड़की ने होश आने पर अपने बच्चे के बारे में पूछा तो परिवारवालों ने उसे बताया कि बच्चा मरा पैदा हुआ, लड़की ने बहुत जिद की तो बताया कि बच्चे को ट्रेन में रखकर छोड़ दिया। परिवारवालों ने बालिग होने पर लड़की की शादी कर दी। शादी के बाद उसे एक बेटा हुआ और पति के साथ जीवन काट रही थी।
25 हजार का इनाम घोषित हुआ था नकी पर
1994 में जिस अपराध को नकी और उसके भाई गुडडू ने किया था, उसे वह भूल भी गए थे। दबिश पड़ते ही दोनों फरार हो गए। पुलिस ने नकी के सिर पर 25 हजार का ईनाम घोषित किया। एक दिन दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। कोर्ट के आदेश पर डीएनए जांच हुई, तब पता लगा कि दुराचार करने वाले नकी से बच्चे का जन्म हुआ था। शाहजहांपुर की अपर सत्र न्यायाधीश षष्टम लवी यादव ने नकी और उसके भाई गुडडू को 10-10 साल की सश्रम सजा और 30-30 हजार जुर्माने से दंडित किया।
2019 में मां ने सुनाई अत्याचार की दांस्ता
2012 से महिला के साथ उसके दोनों बेटे रहने लगे। इस दौरान हर बार दुराचार के बाद जन्मा बेटा अपनी मां से हमेशा की तरह पिता को लेकर सवाल करता रहा। 2019 में एक दिन बेटे ने आत्महत्या की चेतावनी दी, तब मां पिघल गई और पूरी कहानी अपने बेटे को सुना दी।2021 में एक दिन महिला शाहजहांपुर आई और सदर थाने में तहरीर दी। नकी और उसके भाई गुडडू को नामजद करते हुए पुलिस ने मुकदमा लिखा और उनकी गिरफ्तारी को दबिश दी।
2009 में बेटा संपर्क में आया
2009 में बेटा संपर्क में आया, 2012 से साथ रहने लगा-अब बात 2009 की है। दुराचार के बाद जन्मे बेटे को परवरिश करने वालों ने पूरी हकीकत बता दी। जन्म के बाद हरदोई निवासी जिन रिश्तेदार को बच्चा सौंपा गया। उन्होंने 17 साल के हो चुके उस किशोर को उसकी असली मां की कहानी सुना दी। अब वह किशोर तलाश करते हुए 2012 में अपनी असली मां के पास पहुंच गया।
पति ने छोड़ा साथ, बेटा के सहारे चली जीवन की गाड़ी
शादी के बाद बेटा हुआ लेकिन इसके कुछ दिन बाद पति को अपनी पत्नी के अतीत के बारे में पता चला। इसके बाद बहुत झगड़ा हुआ और अंत में पति ने उसे घर से बेटे सहित निकाल दिया। अब महिला अपने बेटे को लेकर लखनऊ आ गई।पर उसकी आंखों में अपने पहले बेटे की एक काल्पनिक तस्वीर हमेशा रही। असल चेहरा तो उसने कभी देखा भी नहीं था कि उसका पहला बेटा कैसा होगा, कैसा दिखता होगा। यह सब सोचते सोचते 17 बरस बीत गए।